ट्रंप प्रशासन चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के सभी सदस्यों के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। दोनों देशों के संबंध पहले से ही खराब चल रहे हैं। इस फैसले से दुश्मनी और बढ़ जाएगी। एक सूत्र ने बताया कि शीर्ष अधिकारी राष्ट्रपति के संभावित आदेश के लिए इसका ड्रॉफ्ट तैयार करने में जुटे हैं। हालांकि यह अभी शुरुआती दौर में ही है और इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने नहीं रखा गया है।

चीन कर सकता है बदले की कार्रवार्इ्
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों की संख्या करीब नौ करोड़ है। अगर इन सभी सदस्यों पर वाकई यात्रा प्रतिबंध लगाया जाता है तो यह अमेरिका का चीन के खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा कदम होगा। जाहिर है, इससे चीन में खलबली मच जाएगी और वह पलटवार के लिए बाध्य होगा। बदले में अमेरिकी नागरिकों, खासकर राजनयिकों और बिजनेसमैन के लिए चीन यात्रा पर रोक लगा दी जाएगी। इससे चीन में अमेरिकी हितों को चोट पहुंच सकती है।
अमेरिकी यूनिवर्सिटी में पढ़ाई भी नहीं कर पाएंगे बच्चे
अब स्थिति यह है कि अमेरिकी एजेंसियों के अधिकारी अमेरिका के विश्वविद्यालयों में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी मेंबर्स के बच्चों का प्रवेश प्रतिबंधित करने पर भी विचार कर रहे हैं। दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान चीन के प्रति सख्त नीति प्रदर्शित करने के लिए ट्रंप के सहयोगी ऐसी संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।
चीन के खिलाफ खुले हुए हैं सभी विकल्प
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रपति के निर्देशन में हम अपने तरीके से काम कर रहे हैं। हमें पता है कि चीन से कैसे निपटना है। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता केली मैक्नेनी का कहना है कि हमने चीन के खिलाफ सभी विकल्प खुले रखे हैं।
दरअसल, कोरोना वायरस को लेकर दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के रिश्तों में आग लग गई। इसके बाद दक्षिण चीन सागर में ड्रैगन की दादागिरी, शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकारों के उल्लंघन और हांगकांग में लोकतंत्र समर्थकों के दमन ने इस आग में घी डालने का काम किया। दोनों देशों के रवैये से तो यही लगता है कि यह आग अभी और भड़केगी।
चीन ने कहा, ‘बेतुका’
चीन ने इस पर प्रतिक्रिया देने में देर नहीं की। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि कम्युनिस्ट पार्टी के सभी सदस्यों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने का कोई भी फैसला बेतुका होगा। इसका मतलब यह होगा कि अमेरिका चीन की पूरी आबादी के खिलाफ खड़ा है। कोई भी देश या शख्स चीन को अपने रास्ते से नहीं डिगा सकता।
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