चीन के फाइजर जेट ने एक बार फिर से ताइवान की वायु सीमा में घुसकरअंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। चीन के ये लड़ाकू विमान ताइवान के एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन (एडीआईजेड) में बुधवार की सुबह घुसे थे। ताइवान में चीन के फाइटर जेट द्वारा की गई ये इस माह की चौथी घटना है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि पिपुल्स लिब्रेशन आर्मी एयर फोर्स के शांग्जी वाई-8 इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर प्लेन दक्षिण पश्चिम से ताइवान के एडीआईजेड में घुसे थे।
इसके जवाब में ताइवान ने इसको लेकर रेडियो वार्निंग दी और अपने विमानों को चीन के लड़ाकू विमानों को खदेड़ने के लिए भेजा। चीन के लड़ाकू विमानों को ताइवान के एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम ने ट्रैक किया था। इससे पहले चीन के विमानों ने इस तरह की हरकत 2,3 और 4 जुलाई को भी की थी। ताइवान के मुताबिक इन विमानों ने काफी कम गति में उड़ान भरी थी।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष सितंबर के मध्य में अपनी ग्रे जोन नीति के तहत ताइवान के एडीआईजेट में लगातार विमानो को भेजने की कवायद शुरू की है। ये जोन ताइवान के दक्षिण-पश्चिम में है। ज्यादातर इसके लिए एक से तीन धीमी गति से उड़ने वाले टर्बोप्रॉप विमानों का इस्तेमाल किया गया है। ताइवान ने चीन के इस दुस्साहस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
ताइवान का कहना है कि चीन की ये कवायद गैर जरूरी है जिस पर उसको दोबारा विचार करने की जरूरत है। आपको बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानकर उस पर अपना अधिकार जताता आया है। चीन की मुख्य भूमि से अलग ताइवान में करीब ढाई करोड़ लोग रहते हैं। बीते सात दशकों से ही ताइवान एक स्वतंत्र राष्ट्र की तरह अपना काम कर रहा है। वो चीन के अधिकार को गलत बताते हुए खुद को एक स्वतंत्र राष्ट्र मानता है।
ताइवान ने चीन द्वारा यहां पर भेजे गए लड़ाकू विमानों को कई बार बाहर खदेड़ने का काम किया है। कई बार दोनों के बीच यहां के अधिकार को लेकर तीखी बयानबाजी भी हो चुकी है। अमेरिका के साथ ताइवान के संबंध मजबूत होने की वजह से भी चीन को काफी खतरा महसूस होता है। यही वजह है कि वो ताइवान पर काफी अधिक आक्रामक होता जा रहा है।
वहीं दूसरी तरफ चीन अमेरिका और ताइवान के रिश्तों को लेकर कई बार सवाल खड़े कर चुका है। चीन कई बार इस बात को कह चुका है कि ताइवान को स्वतंत्र राष्ट्र बताने का अर्थ केवल युद्ध की शुरुआत करना है। चीन ने ताइवान से संबंधों को लेकर अमेरिका को भी कई बार आगाह किया है। चीन के रक्षा मंत्रालय की तरफ से पिछले माह जारी किए गए एक बयान में कहा गया था कि वो अमेरिका और ताइवान के बीच रक्षा संबंधों को स्वीकार नहीं करेगा।