चीनी आक्रामकता के कारण भारत, अमेरिका के साथ सहयोग के लिए तैयार

एच आर मैकमास्टर ने लिखा कि ‘ट्रंप प्रशासन द्वारा एनएसए पद से हटाए जाने से एक दिन पहले, मैं अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से क्वार्टर 13, फोर्ट मैकनेयर में डिनर के लिए मिला था….’

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एच आर मैकमास्टर ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार चीनी आक्रामकता के कारण अमेरिका के साथ ‘अभूतपूर्व’ सहयोग के लिए तैयार है, लेकिन साथ ही साथ उसे फंसने और कुछ चीजें छोड़ने का भी डर है। मैकमास्टर ने अपनी नई किताब ‘एट वॉर विद अवरसेल्व्स’ में यह दावा किया है। एच आर मैकमास्टर ने ट्रंप प्रशासन के दौरान अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में अपनी सेवाएं दी थी।

मैकमास्टर ने डोभाल के साथ मुलाकात का किया जिक्र
एच आर मैकमास्टर ने लिखा कि ‘ट्रंप प्रशासन द्वारा एनएसए पद से हटाए जाने से एक दिन पहले, मैं अपने भारतीय समकक्ष अजीत डोभाल से क्वार्टर 13, फोर्ट मैकनेयर में डिनर के लिए मिला था। डिनर के बाद टहलते हुए डोभाल ने धीमे से कहा कि ‘हम कब तक साथ काम करेंगे?’ सीधे जवाब दिए बिना, मैंने उनके सामने विश्वास जताया कि यह जारी रहेगा।’ मैकमास्टर ने लिखा कि ‘डोभाल ने पूछा कि आपके जाने के बाद अफगानिस्तान में क्या होगा?’ इस पर मैंने ट्रंप की दक्षिण एशिया नीति का जिक्र किया, लेकिन मेरी प्रतिक्रिया आश्वस्त करने वाली नहीं थी।’ मैकमास्टर ने लिखा कि ‘ट्रंप अपरंपरागत और आवेगी थे। कभी-कभी वे आवेग में सही फैसले करते थे तो कभी-कभी ये बहुत अच्छा नहीं होता था।’

मैकमास्टर ने भारत दौरे का किया जिक्र
मैकमास्टर ने अपनी किताब में साल 2017 में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत की अपनी यात्रा का विस्तृत विवरण दिया। जिसमें उन्होंने भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, तत्कालीन विदेश सचिव और मौजूदा विदेश मंत्री एस जयशंकर, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात के बारे में बताया। मैकमास्टर ने लिखा कि ‘हमने अफगानिस्तान में युद्ध और परमाणु संपन्न पाकिस्तान से भारत को खतरे के बारे में बात की, लेकिन जयशंकर और डोभाल ने मुख्य रूप से चीन की आक्रामकता के बारे में बात की।

शी जिनपिंग की आक्रामकता के कारण दोनों लोग अभूतपूर्व सहयोग के लिए तैयार थे, लेकिन भारत को उन प्रतिस्पर्धाओं में फंसने का भी डर था, जिनसे वह बचना चाहता है। साथ ही भारत को अमेरिका के दक्षिण एशिया में कम ध्यान देने और यहां अमेरिकी नीति की अस्पष्टता को लेकर भी चिंता थी। शीत युद्ध के दौरान गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने भारत के नेतृत्व के हिचकिचाहट भरे व्यवहार को जन्म दिया था, विशेष रूप से रूस के साथ, जो भारत के लिए हथियारों और तेल का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।’

मैकमास्टर के अनुसार, ‘भारत की अपनी यात्रा के अंतिम दिन, उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। पीएम मोदी ने हमारा गर्मजोशी से स्वागत किया। यह स्पष्ट था कि हमारे संबंधों को गहरा करना और विस्तारित करना उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता थी। साथ ही उन्होंने चीन की आक्रामकता को लेकर भी चिंता व्यक्त की।’

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