चीन ने कहा है कि उसके अधिकारियों के वीजा पर अमेरिकी प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मानदंड का गंभीर उल्लंघन है और शिनजिंयाग प्रांत में उइगर मुस्लमानों के मसले का जिक्र करना उसके आतंरिक मामलों में हस्तक्षेप है।

यहां स्थित चीनी दूतावास ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा,“चीन के कई संगठनों और कंपनियों को मंगलवार को काली सूची में डालने के बाद अमेरिका ने मानवाधिकार के बहाने एक कदम और बढ़ते हुए आज हमारे अधिकारियों के वीजा पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी। अमेरिका का यह कदम अंतरराष्ट्रीय संबंधों के मूलभूत मानदंड का गंभीर उल्लंघन है और हमारे आतंरिक मामलों में दखल के साथ-साथ हमारे हितों के लिए नुकसानदायक भी है।”
इससे पहले अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने चीन के शिनजियांग प्रांत में 10 लाख से अधिक मुसलमानों के साथ क्रूर एवं अमानवीय व्यवहार करने और उन्हें बलपूर्वक हिरासत में रखने को लेकर चीन की सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के खिलाफ वीजा संबंधी प्रतिबंध लगाने की घोषणा की।
पोम्पियो ने ट्वीट किया, “मैं आज चीनी सरकार और कम्युनिस्ट पार्टी के उन अधिकारियों पर वीजा प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर रहा हूं जो शिनजियांग प्रांत में उइगरों, कज़ाकों, अथवा अन्य मुसलमान अल्पसंख्यक समूहों को कैद कर उनके साथ क्रूर एवं अमानवीय व्यवहार करने के लिए जिम्मेदार हैं।” अमेरिका की ओर से चीन के अधिकारियों पर वीजा संबंधी प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा से दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
अमेरिका ने सोमवार को उइगर मुसलमानों के साथ क्रूर एवं अमानवीय व्यवहार पर चिंता जाहिर करते हुए चीन की 28 संस्थाओं एवं संगठनों को काली सूची में डालने की सोमवार को घोषणा की। काली सूची में डाले गये चीन के संगठनों में सरकारी एजेंसियां और सर्विलांस उपकरण बनाने में माहिर कंपनियां भी शामिल हैं। अब यह संगठन अमेरिका की अनुमति के बिना उसके उत्पादों को खरीद नहीं सकते। अमेरिकी वाणिज्य विभाग के मुताबिक काली सूची में डाले गये चीन के संगठन मानवाधिकार के हनन और दुरुपयोग के मामलों में फंसे हुए हैं।
अमेरिका और चीन के शीर्ष प्रतिनिधियों के बीच गुरुवार 1० अक्टूबर से व्यापार वातार् के अगले दौर की वातार् प्रस्तावित है।
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