चिडियाघर के लिए काल बना नए साल का जश्‍न, जानवरों का हुआ बुरा हाल

31 दिसंबर की रात नए साल का जश्‍न पूरी दुनिया में दिखाई दिया। आस्‍ट्रलिया से अमेरिका तक और भारत से रूस तक हर जगह लाखों लोग इस जश्‍न के गवाह भी बने। इस मौके पर आसमान रंग-बिरंगी आतिशबाजी से पट गया। यह मौका इसे देखने जमा हुए लोगों के लिए किसी यादगार पल से कम नहीं था। डांस, म्‍यूजिक और मस्‍ती के बीच हर जगह नए साल ने दस्‍तक दी। लेकिन, नए साल के जश्‍न में छोड़ी गई आतिशबाजी जर्मनी के शहर क्रेफल्‍ड स्थित चिड़ियाघर के लिए बेहद बुरी साबित हुई। आतिशबाजी की चिंगारी ने यहां पर मौजूद सभी बंदरों की जान ले ली।

नए साल के जश्‍न में डूबी दुनिया को इसकी खबर भी 24 घंटों के बाद तब लगी जब चिड़ियाघर के फेसबुक पेज पर इसकी जानकारी साझा की गई। इसमें कहा गया कि हमें जिसका सबसे ज्‍यादा डर था आखिरकार वही सच हो गया। यहां पर लगी आग ने सभी बंदरों की जान ले ली। इस बाड़े में कोई जानवर जिंदा नहीं बचा। चिड़ियाघर के प्रशासन ने आशंका जाहिर की है कि इसकी सबसे बड़ी वजह नए वर्ष पर छोड़ी गई आतिशबाजी बनी है। हालांकि प्रशासन की तरफ से इसकी जांच के आदेश भी दे दिए गए

चिड़ियाघर प्रशासन की तरफ से इस हादसे की जानकारी देते हुए कहा है कि इस आग में 30 से ज्यादा जानवर जिंदा जल गए। बंदरों के बाड़े के पास ही गोरिल्‍ला पार्क भी था। बस गनीमत यही रही कि यह आग इस पार्क तक नहीं पहुंच सकी। इस आग को बुझाने में कुछ अन्‍य लोगों ने भी मदद की, जिसका शुक्रिया चिड़ियाघर प्रशासन ने अपने फेसबुक पेज के माध्‍यम से किया है। कई लोगों की तरफ से हादसे के बाद मदद की भी अपील की गई थी। इसके जवाब में चिड़ियाघर प्रशासन ने कहा है कि इस हादसे से फिलहाल प्रशासन सदमे में है और यह बताने की स्थिति में नहीं हैं कि उन्‍हें अभी क्या मदद चाहिए ।

आपको बता दें कि इस चिड़ियाघर में बनाया गया बंदरों का बाड़ा करीब 2000 वर्गमीटर का है, जिसमें बंदरों की कई दूसरी प्रजातियां रहती हैं। 1975 में यह बाड़ा बनाया गया था। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि यूरोपीय संघ में आतिशबाजी का सबसे निर्यातक जर्मनी ही है। हर वर्ष जर्मनी में नए साल के जश्‍न पर प्रशासन की तरफ से ही रंग-बिरंगी आतिशबाजी का इंतजाम किया जाता है। इस वर्ष  भी ऐसा ही हुआ था।

इस हादसे की खबर देर रात करीब 12:30 पर मिली थी। पुलिसकर्मियों और प्रशासन को बंदरों के बाड़े के नजदीक कुछ लालटेन भी मिली हैं। हालांकि जर्मनी में इसके उपयोग पर प्रतिबंध है। लेकिन इसके बावजूद कई बार लोग इसको जश्‍न में शामिल कर लेते हैं। माना जा रहा है कि इस बार भी लोगों ने इसका उपयोग किया हो। फिलहाल हादसे की जांच चल रही है और पुलिस समेत प्रशासन इन दोनों बातों पर गौर कर रहे हैं।

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