जो देता है वह देवस्वरूप होता है। घर के पूजाघर में दीपक जलाया जाता है। यह दीपक प्रकाश देता है इसलिए यह भी देवता स्वरूप हो सकता है किंतु दीपक को जलाने और रखने के कुछ नियमों का पालना करना आवश्यक है। विशेषकर दीप की लौ की दिशा का ध्यान रखना चाहिए। दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक हैं। हृदय में भरे हुए अज्ञान और संसार में फैले हुए अंधकार का शमन करने वाला दीपक देवताओं की ज्योर्तिमय शक्ति का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसे भगवान का तेजस्वी रूप मान कर पूजा जाना चाहिए।

दीप देवता
हर तरह की प्रगति और समृद्धि के लिए घर में प्रतिदिन घी का दीपक जलाएं। यह घर में सकारात्मक ऊर्जा की वृद्धि करता है।
दीपक की लौ पूर्व दिशा की ओर रखने से रोग दूर होते हैं और आयुवृद्धि होती है।
दीपक को उत्तर की दिशा की ओर रखें तो धनवृद्धि होती है।
रसोईघर में जहां पीने का पानी रखते हों, वहां पर भी घी का दीपक जलाना स्वास्थ्य लाभ और धनवृद्धि करता है। बुरी शक्तियां प्रभाव नहीं डाल पातीं।
वास्तुनुसार ईशान यानी उत्तर-पूर्व दिशा में पूजन करना सर्वोत्तम होता है। पूर्व-मध्य अथवा उत्तर-मध्य के किसी भी कक्ष में पूजन करना शुभ फल प्रदान करता है। घर का मध्य भाग ब्रह्म स्थान होता है। यहां भी पूजन कर सकते हैं। पूजा के समय पूर्व या पश्चिममुखी रहें तत्पश्चात दीप जलाएं दरिद्र भगाएं।
दीप पूजन करने के बाद पहले मंदिर में दीपदान करें और फिर घर में दीए सजाएं।
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