कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन लागू है। ऐसे में प्रवासी मजदूरों को अपने घरों तक पहुंचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं।
लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर घर लौटने को मजबूर हैं। कामगारों के पैदल ही घर की ओर चल पड़ने के बाद रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन शुरू किया।
कठिनाई, दुख, परेशानी में घिरे कामगारों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें सिर्फ राहत देने वाली ही नहीं कुछ के लिए खुशी देने वाली भी साबित हुईं हैं। जानकारी के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में अब तक 21 बच्चों का जन्म हो चुका है।
बिहार की रहने वाली ममता यादव गुजरात के जामनगर से 8 मई को श्रमिक स्पेशल ट्रेन में सवार हुई। वो अकेले ही चली थी, लेकिन बिहार में जब वह अपनी मंजिल तक पहुंची तो उसकी बाहों में एक नन्हीं जिंदगी भी सांस ले रही थी।
जब से श्रमिक स्पेशल ट्रेन का संचालन शुरू हुआ है तब से अब तक इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 21 शिशुओं का जन्म हो चुका है। बता दें कि सरकारों की मदद से इन मजदूरों को अपने घर पहुंचाया जा रहा है और ऐसे में ये प्रवासी मजदूर जिस हालत में भी हैं, वैसे ही सफर कर रहे हैं।
हालांकि रेलवे और प्रशासन द्वारा इन मजदूरों के खान-पान और मेडिकल सुविधाओं की व्यवस्था की जा रही है। वहीं जिन प्रसूताओं ने ट्रेनों में बच्चों को जन्म दिया है, उन्हें भी पूरी सुविधाएं मुहैया कराई गई है।
बता दें कि देश में विभिन्न राज्यों में फंसे मजदूरों के लिए रेलवे ने अब तक 2 हजार से ज्यादा ट्रेनें चलाई हैं और इनके जरिए करीब 30 लाख मजदूरों को अपने गंतव्य तक पहुंचा गया है।
लाखों मजूदर अभी भी इंतजार में हैं। जानकारी मिल रही है कि रेलवे रोज 300 से 350 ट्रेनें चलाने की तैयारी में है ताकि ये मजदूर घर पहुंच सके।