कोविड-19 महामारी के बीच ओडिशा में तूफान के संभावित खतरे से निपटने की तैयारियों के तहत शुक्रवार को 12 तटीय जिलों में चेतावनी जारी की गई।
साथ ही कलेक्टरों से लोगों के लिए वैकल्पिक आश्रय गृहों की व्यवस्था करने को कहा गया है। एक उच्च सरकारी अधिकारी ने यह जानकारी दी।
बता दें कि बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का एक क्षेत्र बन रहा है जिसके तूफान का रूप लेने की प्रबल संभावना है। ओडिशा के राहत आयुक्त पीके जेना ने बताया कि उन्होंने मुख्य सचिव असित त्रिपाठी के साथ तूफान की स्थिति और राज्य पर पड़ने वाले उसके प्रभाव की समीक्षा की है।
भारत मौसम विभाग द्वारा प्राप्त सूचना के अनुसार संभावित कम दबाव का क्षेत्र उत्तर-उत्तर पूर्व दिशा में घूमते हुए अपने पथ पर लौटेगा और बंगाल की खाड़ी की ओर मुड़ेगा। जेना ने कहा कि कम दबाव वाले क्षेत्र की गति अभी पता नहीं चल पाई है। तूफान तट पर कहां टकराएगा इसकी जानकारी मौसम विभाग देगा।
उन्होंने कहा कि तूफान उत्तर ओडिशा, दक्षिणी बंगाल या बांग्लादेश से भी टकरा सकता है। उन्होंने कहा कि मछुआरों को शुक्रवार से समुद्र में न जाने की सलाह दी गई है।
हालांकि मौसम विभाग ने अभी कोई सटीक जानकारी नहीं दी है, लेकिन स्पष्ट किया है कि कम दबाव का क्षेत्र शुक्रवार को और बढ़ेगा और बाद में यह तूफान का रूप ले लेगा।
भारतीय मौसम विभाग के मृत्युंजय महापात्र ने कहा, ‘अभी हम सटीकता से अनुमान नहीं लगा सकते क्योंकि चक्रवात अभी बना नहीं है।
हालांकि ओडिशा के उत्तरी और पश्चिम बंगाल के दक्षिणी भागों में स्थित जिलों में इसका प्रभाव पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप तटीय क्षेत्रों में 19 मई से भारी बारिश का अनुमान है।’
जेना ने कहा कि स्थिति को देखते हुए ओडिशा सरकार ने 12 तटीय जिलों में चेतावनी जारी कर दी है जिनमें जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक और बालासोर प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर एनडीआरएफ और अग्निशमन सेवा समेत अन्य बलों की तैनाती की जा सकती है।
विशेष राहत आयुक्त ने कहा कि ओडिशा ने ऐसी स्थिति का सामना पहले भी किया है इसलिए स्थिति का प्रबंधन सही तरीके से किया जाएगा।