चंडीगढ़: पीजीआई के डॉक्टरों ने कोरोना वायरस को ख़त्म करने वाले पांच स्पेशल प्रोटीन की खोज की

पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। विकसित देश भी इस वायरस का तोड़ ढूंढने में जुटे हैं। इसी कड़ी में पीजीआई के डॉक्टरों ने एक सफलता हासिल की है।
पीजीआई की एक्सपेरिमेंटल फार्माकोलॉजी लैबोरेटरी, डिपार्टमेंट ऑफ फार्माकोलॉजी ने दो महीने की मेहनत के बाद पांच ऐसे संभावित लक्ष्यों (पोटेंशियल टारगेट्स) की पहचान की है, जो कोरोना वायरस के द्वारा मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने या फैलने से रोकेंगे।

पीजीआई के डॉक्टरों ने जिन संभावित लक्ष्यों की पहचान की है, उनमें न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन, प्रोटीज एंजाइम, ई प्रोटीन, एम प्रोटीन और स्पाइक प्रोटीन शामिल हैं। ये सभी प्रोटीन वायरस को खत्म करने में कारगर साबित हो सकते हैं।

पीजीआई के डॉक्टरों के मुताबिक, कोराना वायरस की दवा ईजाद करने की दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम है और इन-सिलिको ड्रग डिजाइन करने के प्रयास किए जा रहे हैं।

फार्माकोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रो. विकास मेधी की अगुवाई में डॉ. फुलेन सरमा, निशांत शेखर, मनीषा प्रजापत, डा. प्रमोद अवति, डा. अजय प्रकाश, हरदीप कौर, डा. सुबोध कुमार, डा. हरीश कुमार और डा. सीमा बंसल की टीम ने उपरोक्त संभावित लक्ष्यों की पहचान दो महीने की अथक मेहनत के बाद की है और जल्द ही इन संभावित लक्ष्यों और पुन: शुद्ध किए गए अणुओं को आगे के सत्यापन के लिए इन-विट्रो और इन-वीवो एक्सपेरिमेंट किया जाएगा।
डॉक्टरों ने बताया कि जिन प्रोटीन को हमने खोजा है, उनके सहयोग के साथ पुरानी दवाओं जैसे क्लोरोक्वीन, एच1 एन1 वायरस के लिए दी जानी वाली दवाओं के साथ हम पॉजीटिव मरीज पर इसका शोध करके मरीज को ठीक करने की कोशिश करेंगे।

प्रो. विकास मेधी ने बताया कि जबसे यह नया वायरस आया है, हम इसके फैलने के बाद से इसको खत्म करने के लिए मैकेनिज्म तैयार करने में जुट गए थे कि कौन सा मैकेनिज्म या प्रोटीन इस वायरस को खत्म कर सकता है।

आखिर में हमने टारगेटेड साइट आइडेंटिफाई कर लिया है। इन प्रोटीन पर इन-सिलिको ड्रग डिजाइनिंग के जरिए ड्रग टारगेट मॉलिक्यूल आइडेंटिफाई किया गया है। इन-सिलिको ड्रग डिजाइनिंग वह प्रोसेस है जिसमें बॉयो इनफार्मेटिक्स टूल के रूप में इस्तेमाल कर ड्रग टारगेट मॉलिक्यूल को आइडेंटिफाई किया जाता है।

डॉ. विकास मेधी के अनुसार ह्यूमन कोरोना वायरस के सात स्ट्रेन होते हैं। 229ई, एनएल 63, ओसी 43, एचकेयू 1, एमईआरएस-सीओ वी, एसएआरएस-सीओ वी और 2019-एन सीओवी से वायरस फैलता है। यह रेस्पेरेटरी ट्रैक को जकड़ लेता है, जिसमें लोअर और अपर रेस्परेटरी ट्रैक शामिल होते हैं।

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