गोवर्धन पर्वत की यह सच्चाई, क्या आपको पता है

आप सभी को बता दें कि इस बार दिवाली वाले दिन ही गोवर्धन पूजा की जाने वाली हैं. हर साल इस पूजा के दिन कई लोग मथुरा के गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा लगाने के लिए जाते हैं या इस पूजा के बाद जाते हैं. ऐसे में कहा जाता हैं यह परिक्रमा करीब 22 किलोमीटर लंबी है लोग पैदल चलकर इस परिक्रमा को पूर्ण करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं इस पर्वत के बारे में.

कहा जाता हैं यह वही पर्वत है जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर मथुरा वाले लोगों की रक्षा की थी जब एक बार देवता इंद्र ने बहुत तेज बारिश कर कर बता कर लोगों को संकट में डाल दिया था तब भगवान श्री कृष्ण ने इस पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठाकर लोगों की रक्षा की थी.

इसी के साथ यह भी कहा जाता हैं इस पर्वत को लेकर एक बार ऋषि पुलस्त्य इस पर्वत खूबसूरती से बेहद प्रभावित हुए वे इसे अपने साथ ले जाना चाहते थे तभी एक आवाज आई ‘मत लेना’ इसके बाद ऋषि मुनि से पर्वत ने कहा कि ‘आप बेशक मुझे अपने साथ ले जाइए लेकिन आप मुझे पहली बार जहां पर भी रखेंगे वहीं पर स्थापित हो जाऊंगा.’

इसके बाद ऋषि मुनि उसे अपने साथ लेकर आगे चल पड़े और उसके कुछ समय बाद ऋषि मुनि की साधना का समय हो गया और वह उस पर्वत को रखकर साधना करने लगे, लेकिन वह पर्वत वहीं पर स्थापित हो गया, साधना से उठने के बाद ऋषि मुनि उस पर्वत को हिलाने लगे तो वह उनसे हिला भी नहीं इस बात से वह क्रोधित हो गए और क्रोधित होकर ऋषि मुनि ने पर्वत को श्राप दे दिया कि ‘तू अपना आकार प्रतिदिन खोता रहेगा.’ बस तब से ही यह मान्यता है कि यह गोवर्धन पर्वत प्रतिदिन मुट्ठी भर छोटा होता जाता है.

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