सोने के लिए भारत का प्यार किसी के लिए राज नहीं रहा है। एक समय में भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। साल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (स्वर्ण मुद्रीकरण योजना) शुरू की थी। इसका उद्देश्य देश की पारिवारिक इकाइयों तथा संस्थाओं द्वारा धारित सोने को गतिमान बनाना है, साथ ही उसके उत्पादक प्रयोजनों के लिए प्रयोग को सुगम बनाना है। इस योजना के माध्यम से सरकार दीर्घावधि में देश की सोने के आयात पर निर्भरता को कम करना चाहती है।
पिछले कुछ दशकों में, सोने के घरेलू स्टॉक में काफी वृद्धि हुई है। इस संपत्ति को उत्पादक उपयोग में लाने के लिए बनाई गई गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम के तहत आप जीएमएस खाते में किसी भी रूप में (बार, सिक्के, आभूषण) सोना जमा कर सकते हैं। सोना जमा करने पर आपको ब्याज मिलेगा और साथ ही जीएमएस के तहत आयकर में छूट भी मिलेगी।
इसके तीन प्रकार है, अल्पावधि गोल्ड डिपॉजिट, मध्यम अवधि गोल्ड डिपॉजिट और दीर्घावधि गोल्ड डिपॉजिट। अल्पावधि गोल्ड डिपॉजिट की अवधि एक साल से तीन साल तक है, मध्यम अवधि गोल्ड डिपॉजिट की पांच से सात साल तक और दीर्घावधि गोल्ड डिपॉजिट की 12 साल से 15 साल तक। मध्यम और दीर्घावधि गोल्ड में न्यूनतम डिपॉजिट की कोई सीमा नहीं है, जबकि अल्पावधि गोल्ड डिपॉजिट में कम से कम 30 ग्राम सोना जमा करना अनिवार्य है। वहीं अधिकतम गोल्ड डिपॉजिट करने की कोई सीमा नहीं है।
ब्याज दर की बात करें, तो अल्पावधि गोल्ड डिपॉजिट में आपको कितना ब्याज मिलेगा, यह बैंक खुद निर्णय लेते हैं, वहीं मध्यम अवधि गोल्ड डिपॉजिट में आरबीआई के अनुसार जमाकर्ताओं को 2.25 फीसदी सालाना ब्याज मिलेगा। दीर्घावधि गोल्ड डिपॉजिट में जमाकर्ताओं को सालाना 2.50 फीसदी का ब्याज मिलता है।
कोई भी भारतीय निवासी संग्रह और शुद्धता परीक्षण केंद्र (CPTC) से संपर्क कर सकता है। सीपीटीसी सोने की शुद्धता का परीक्षण करता है और सलाह देता है। इस सलाह के आधार पर, बैंक जीएमएस खाते में राशि जमा करता है और जमा प्रमाणपत्र जारी करता है। जीएमएस खाते केवाईसी मानदंडों के अधीन हैं। कुछ मामलों में, बैंक सीधे सोना जमा कर सकते हैं और जमा प्रमाणपत्र प्रदान कर सकते हैं।