मोस्ट वॉन्टेड विकास दुबे को एसटीएफ ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया है. पूरी रात मीडिया की टीम विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ले जा रही एसटीएफ की गाड़ी का पीछा करती रही.
कई बार टीम को रोका गया. एक जगह तो मीडिया की टीम के साथ पुलिसकर्मियों ने मारपीट भी की थी. अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एसटीएफ क्या छिपाना चाहती थी?
विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गुरुवार सुबह पकड़ा गया था. उससे करीब 8 घंटे तक पूछताछ की गई. पूछताछ के बाद यूपी एसटीएफ की टीम विकास दुबे को लेकर शाम करीब सात बजे उज्जैन से रवाना हुई. एसटीएफ की टीम के पीछे मीडिया की टीम भी लग गई. मध्य प्रदेश के शाजापुर में आजतक की टीम ने एसटीएफ के काफिले को चेज किया.
अपने पीछे मीडिया की टीम को देखकर पुलिसकर्मी नाराज हो गए. इसके बाद एक पेट्रोल पंप पर मीडिया की टीम के साथ धक्कामुक्की की गई.
इसके थोड़ी देर बाद उदतखेड़ी के टोल प्लाजा के पास एक ढाबे पर एसटीएफ की टीम ने मीडिया की गाड़ी को रोका और ड्राइवर के साथ मारपीट की. पुलिसकर्मियों ने गाड़ी की चाभी छीनकर फेंक दी.
मीडिया के कैमरामैन ने जब चाभी उठाने की कोशिश की तो एसटीएफ के जवानों ने कैमरामैन को मारा. फिर चाभी छीनकर करके एसटीएफ की टीम रवाना हो गई.
फिर उसके बाद 60 किलोमीटर दूर हमारे राजगढ़ के संवाददात को एसटीएफ की टीम ने कार की चाभी दी. इस वजह से एसटीएफ का काफिल आगे बढ़ गया.
विकास दुबे को लेकर एसटीएफ का काफिला 6.30 बजे सुबह कानपुर में प्रवेश करता है. इस दौरान भी मीडिया की टीम ने काफिला का पीछा करने की कोशिश की. मीडिया की टीम को पहले एक बार रोका गया. मान-मनौव्वल के बाद जैसे ही टीम आगे बढ़ी. फिर उसे रोक लिया गया.
जब पुलिसकर्मियों से मीडियो को रोकने का सवाल किया तो पुलिसकर्मियों ने आरोपों से इनकार कर दिया. उनका कहना था कि हम रेगुलर चेकिंग करते रहते हैं.
काफी देर बाद पुलिस टीम ने मीडिया की टीम को आगे बढ़ने दिया. जैसे ही टीम टोल प्लाजा से 25 किलोमीटर आगे पहुंची, वहां एसटीएफ की गाड़ी पलटी पड़ी थी.
शुरुआत में एसटीएफ के जवानों ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. बाद में एक जवान ने कहा कि हां, इसमें विकास दुबे सवार था.
इसके थोड़ी देर बाद ही एनकाउंटर की खबर मिली. पुलिस के मुताबिक, कार एक्सीडेंट के बाद विकास दुबे असलहा छीनकर भाग रहा था, तभी उसका एनकाउंटर कर दिया गया.