चमोली जिले में समुद्रतल से 13 हजार फीट की ऊंचाई पर सोना शिखर के पास स्थित चेनाप घाटी गूगल पर तो है, लेकिन उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में नहीं। जबकि, यह घाटी भी विश्व प्रसिद्ध फूलों की घाटी से किसी भी मायने में कमतर नहीं है। खास बात यह कि बंगाल के ट्रैकर यहां बहुतायत में पहुंचते हैं, लेकिन उत्तराखंड के लोगों को ठीक से इसके बारे में जानकारी तक नहीं है। इससे भी बड़ी विडंबना देखिए कि पर्यटन विभाग ने दो वर्ष पूर्व इसे ‘ट्रैक ऑफ द इयर’ घोषित करने को जो कार्ययोजना भेजी थी, उसे भी आज तक मंजूरी नहीं मिली।
चेनाप घाटी पहुंचने के लिए बदरीनाथ यात्रा के प्रमुख पड़ाव जोशीमठ से चाई गांव तक 10 किमी की दूरी सड़क मार्ग से तय करनी पड़ती है। यहां से आगे 18 किमी का सफर थैंग गांव से होते हुए पैदल होता है। घाटी में पहुंचते ही पांच वर्ग किमी क्षेत्र में फैले मखमली बुग्यालों (घास के मैदान) के बीच खिले रंग-बिरंगे फूल पर्यटकों को सम्मोहित कर देते हैं। अभी तक चेनाप घाटी में 315 प्रजाति के फूल चिह्नित किए जा चुके हैं। जून से लेकर अक्टूबर तक पूरी घाटी बहुरंगी फूलों का गुलदस्ता-सी नजर आती है।
घाटी का सबसे बड़ा आकर्षण हैं, यहां प्राकृतिक रूप से बनी मेड़ और क्यारियां। ऐसा प्रतीत होता है, मानो किसी कुशल काश्तकार ने फूलों को करीने से सजाया है। खासकर एक-एक किमी लंबी देव पुष्प ब्रह्मकमल की क्यारियां तो अद्भुत सम्मोहन बिखेरती हैं। जिन्हें ‘फुलाना’ नाम दिया गया है।
हिमालय की गगनचुंबी चोटियों का दीदार
चेनाप घाटी में मेलारी टॉप से हिमालय की दर्जनों गगनचुंबी चोटियों का भी दीदार होता है। इसके अलावा यह घाटी अपनी अनूठी जैव विविधता के लिए भी प्रसिद्ध है। भांति-भांति के हिमालयी वन्य जीव, परिंदे, तितलियां और औषधीय जड़ी-बूटियां चेनाप घाटी को समृद्धि प्रदान करते हैं।
बोले अधिकारी
- वन विभाग ने चेनाप घाटी को देश-दुनिया की नजरों में लाने के लिए इसके विकास की कार्ययोजना तैयार की है। इसे जल्द अमल में लाया जाएगा।
- चेनाप घाटी का ट्रैक ऑफ द इयर घोषित करने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से दो साल पहले शासन में कार्ययोजना भेजी गई थी। फिलहाल इसकी स्वीकृति का इंतजार है।