आज 6 फ़रवरी माघ मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को प्रदोष व्रत है. गुरुवार के दिन पड़ने के कारण इसे प्रदोष व्रत कहा जा रहा है. प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व और फल दिन और वार के हिसाब से अलग अलग होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पूरे विधि विधान से व्रत रखने वाले जातक पर भगवान शिव की कृपा बनी रहती है. यह भी माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने वाले जातकों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. गुरु प्रदोष व्रत को लेकर ऐसा माना जाता है कि यह व्रत करने से आपको योग्य संतान की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस प्रदोष व्रत क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:
इस प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक है. इस बीच में आप कभी भी भगवान शिव की पूजा अर्चना कर सकते हैं.
प्रदोष व्रत की पूजा-विधि:
प्रदोष व्रत करने वाले जातक को सुबह सूरज उगने से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए.
इसके बाद पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए.पूजाघर को गाय के गोबर से लीपना चाहिए. इसके बाद पूरे मन से भगवान शिव का भजन कीर्तन और पूजा-पाठ करना चाहिए.
सुबह उठकर नाहा धोकर साफ वस्त्र धारण करें. इसके बाद पूजा वाले पीतल के लोटे में हल्दी गुड़ और चने की दाल डालकर. इसे केले के पेड़ में अर्पित करें. इसके साथ ही दिया भी जलाएं. इस बात का ख्याल रखें कि दिये में गाय का घी होना चाहिए.