गुप्त नवरात्र पर करें देवी के इन मंत्रों का जाप

माघ गुप्त नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा होती है। यह अवधि (Gupt Navratri 2025) तंत्र विद्या के लिए बहुत खास होती है जो लोग मां दुर्गा का आशीर्वाद पाना चाहते हैं उन्हें इस दौरान मां के 108 नामों का जाप भाव के साथ करना चाहिए। इसके साथ ही पूरे नौ दिनों तक पवित्रता बनाई रखनी चाहिए।

साल में चार बार नवरात्र का पर्व मनाया जाता है, जिसमें माघ नवरात्र भी एक है। इस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की आराधना होती है। ऐसा माना जाता है कि इस पावन समय मां दुर्गा और उनकी 10 महाविद्याओं के लिए भक्त उपवास करके अपनी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं।

साथ ही यह समय तंत्र साधना के लिए भी विशेष माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 जनवरी को शाम 06 बजकर 05 मिनट पर हुई है। वहीं इस तिथि का समापन 30 जनवरी को दोपहर 04 बजकर 10, मिनट पर होगा। यानी आज से माघ गुप्त नवरात्र की शुरुआत हो रही है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अगर इस मौके पर मां की पूजा के समय उनके 108 नामों का जाप किया जाए, तो जीवन की सभी मुश्किलें समाप्त होती हैं, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

।।मां दुर्गा के 108 नाम।।

ॐ श्रियै नमः।
ॐ उमायै नमः।
ॐ भारत्यै नमः।
ॐ भद्रायै नमः।
ॐ शर्वाण्यै नमः।
ॐ विजयायै नमः।
ॐ जयायै नमः।
ॐ वाण्यै नमः।
ॐ सर्वगतायै नमः।
ॐ गौर्यै नमः।
ॐ वाराह्यै नमः।
ॐ कमलप्रियायै नमः।
ॐ सरस्वत्यै नमः।
ॐ कमलायै नमः।
ॐ मायायै नमः।
ॐ मातंग्यै नमः।
ॐ अपरायै नमः।
ॐ अजायै नमः।
ॐ शांकभर्यै नमः।
ॐ शिवायै नमः।
ॐ चण्डयै नमः।
ॐ कुण्डल्यै नमः।
ॐ वैष्णव्यै नमः।
ॐ क्रियायै नमः।
ॐ श्रियै नमः।
ॐ ऐन्द्रयै नमः।
ॐ मधुमत्यै नमः।
ॐ गिरिजायै नमः।
ॐ सुभगायै नमः।
ॐ अंबिकायै नमः।
ॐ तारायै नमः।
ॐ पद्मावत्यै नमः।
ॐ हंसायै नमः।
ॐ पद्मनाभसहोदर्यै नमः।
ॐ अपर्णायै नमः।
ॐ ललितायै नमः।
ॐ धात्र्यै नमः।
ॐ कुमार्यै नमः।
ॐ शिखवाहिन्यै नमः।
ॐ शांभव्यै नमः।
ॐ सुमुख्यै नमः।
ॐ मैत्र्यै नमः।
ॐ त्रिनेत्रायै नमः।
ॐ विश्वरूपिण्यै नमः।
ॐ आर्यायै नमः।
ॐ मृडान्यै नमः।
ॐ हींकार्यै नमः।
ॐ क्रोधिन्यै नमः।
ॐ सुदिनायै नमः।
ॐ अचलायै नमः।
ॐ सूक्ष्मायै नमः।
ॐ परात्परायै नमः।
ॐ शोभायै नमः।
ॐ सर्ववर्णायै नमः।
ॐ हरप्रियायै नमः।
ॐ महालक्ष्म्यै नमः।
ॐ महासिद्धयै नमः।
ॐ स्वधायै नमः।
ॐ. स्वाहायै नमः।
ॐ मनोन्मन्यै नमः।
ॐ त्रिलोकपालिन्यै नमः।
ॐ उद्भूतायै नमः।
ॐ त्रिसन्ध्यायै नमः।
ॐ त्रिपुरान्तक्यै नमः।
ॐ त्रिशक्त्यै नमः।
ॐ त्रिपदायै नमः।
ॐ दुर्गायै नमः।
ॐ ब्राह्मयै नमः।
ॐ त्रैलोक्यवासिन्यै नमः।
ॐ पुष्करायै नमः।
ॐ अत्रिसुतायै नमः।
ॐ गूढ़ायै नमः।
ॐ त्रिवर्णायै नमः।
ॐ त्रिस्वरायै नमः।
ॐ त्रिगुणायै नमः।
ॐ निर्गुणायै नमः।
ॐ सत्यायै नमः।
ॐ निर्विकल्पायै नमः।
ॐ निरंजिन्यै नमः।
ॐ ज्वालिन्यै नमः।
ॐ मालिन्यै नमः।
ॐ चर्चायै नमः।
ॐ क्रव्यादोप निबर्हिण्यै नमः।
ॐ कामाक्ष्यै नमः।
ॐ कामिन्यै नमः।
ॐ कान्तायै नमः।
ॐ कामदायै नमः।
ॐ कलहंसिन्यै नमः।
ॐ सलज्जायै नमः।
ॐ कुलजायै नमः।
ॐ प्राज्ञ्यै नमः।
ॐ प्रभायै नमः।
ॐ मदनसुन्दर्यै नमः।
ॐ वागीश्वर्यै नमः।
ॐ विशालाक्ष्यै नमः।
ॐ सुमंगल्यै नमः।
ॐ काल्यै नमः।
ॐ महेश्वर्यै नमः।
ॐ चण्ड्यै नमः।
ॐ भैरव्यै नमः।
ॐ भुवनेश्वर्यै नमः।
ॐ नित्यायै नमः।
ॐ सानन्दविभवायै नमः।
ॐ सत्यज्ञानायै नमः।
ॐ तमोपहायै नमः।
ॐ महेश्वरप्रियंकर्यै नमः।
ॐ महात्रिपुरसुन्दर्यै नमः।
ॐ दुर्गापरमेश्वर्यै नमः।

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