अहमदाबाद, गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी ताल ठोक रही है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी का एक भाषण हाल ही गुजरात में भी वर्चुअल प्लेटफार्म के जरिए दिखाया गया था। फरवरी व मार्च 2021 में हुए निकाय व पंचायत चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) व ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) को मिली आंशिक सफलता के बाद ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस ने भी गुजरात में भाग्य आजमाने का फैसला किया है। तृणमूल कांग्रेस गुजरात के प्रदेश संयोजक जितेंद्र खड़ायता बताते हैं कि तृणमूल कांग्रेस ने 2012 के विधानसभा चुनाव में एक प्रत्याशी मैदान में उतारा था, लेकिन वह चुनाव पार्टी ने आधे-अधूरे मन से लड़ा था।
गुजरात में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस अपनी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। तृणमूल कांग्रेस आगामी दिनों में गुजरात में एक जोरदार चुनाव अभियान की तैयारी कर रही है। सबसे पहले पार्टी राज्य के बड़े शहरों में प्रमुख चौराहों पर होर्डिंग व बैनर लगाएगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही संपन्न हुए प्रदेश के चुनाव में भाजपा को हराकर तीसरी बार पश्चिम बंगाल की कमान संभाली है। इस चुनाव के बाद से ही लगातार राजनीतिक गलियारों में ममता के गुजरात में धमक दिखाने की चर्चाएं थीं, अब धीरे-धीरे पार्टी अपने पत्ते खोल रही है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस का गुजरात में संगठन तथा कैडर कहीं नजर नहीं आता है, लेकिन ममता बनर्जी के चेहरे पर ही पार्टी यह चुनाव लड़ने का प्रयास कर रही है। गुजरात में हुए निकाह पंचायत व पालिका चुनाव में आम आदमी पार्टी तथा एआइएमआइएम अपनी जगह बनाने में कामयाब रहे। आप ने सूरत महानगर पालिका में प्रमुख विपक्षी दल की हैसियत हासिल की।
वहीं, एआइएमआइएम गोधरा, मोडासा, अहमदाबाद में अपने उपस्थिति दर्ज कराई। तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर अपने पांव मजबूत करने की तैयारी कर रही है. इसीलिए अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी गुजरात से इसकी शुरुआत करना चाहती है। 2022 में गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होंगे। आमतौर पर गुजरात के विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी व इंडियन नेशनल कांग्रेस के बीच ही होते रहे हैं, राजनीतिक विश्लेषकों का भी यही मानना है कि गुजरात में तीसरे दल के लिए कोई स्थान नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री चिमन भाई पटेल व पूर्व मुख्यमंत्री शंकर सिंह वाघेला तथा पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल गुजरात में भाजपा व कांग्रेस के अलावा तीसरे दल को खड़ा करने का प्रयास कर चुके, लेकिन अंततः इन तीनो ही नेताओं को अपने दल का राष्ट्रीय पार्टी में विलय करना पड़ा। क्योंकि आम आदमी पार्टी तथा तृणमूल कांग्रेस अपने-अपने राज्यों में सत्ता में है, इसलिए उन्हें इसका कुछ लाभ जरूर मिल सकता है लेकिन अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर साफ होने में अभी भी एक साल से अधिक समय शेष है।