गुजरात दंगों में तबाह हुआ मुस्लिम अब बना रहा हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां

अहमदाबाद। साल 2002 में गुजरात के दंगों ने इस मुस्लिम युवक की जिंदगी दबाह कर दी थी। बावजूद इसके वह हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां बनाकर आपसी भाईचारे का संदेश फैला रहा है। ये कहानी है मोहसिन शेख की, जो आज भी समाज में सर्वधर्म संभाव का संदेश बांट रहा है। 29 साल के मोहसिन ने पीएम मोदी, अहमदाबाद के फेमस एलिस ब्रिज और तीन दरवाजे की कृति बना चुकें है। सोमवार का दिन उनके लिए खास रहा जब उनकी बनाई भगवान शिव, कैलाश पर्वत और नंदी बैल की प्रतिमा को पंचनाथ महादेव मंदिर में स्थापित किया गयागुजरात दंगों में तबाह हुआ मुस्लिम अब बना रहा हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां

गुजरात दंगों में तबाह हुआ मुस्लिम अब बना रहा हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां

अहमदाबाद। साल 2002 में गुजरात के दंगों ने इस मुस्लिम युवक की जिंदगी दबाह कर दी थी। बावजूद इसके वह हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां बनाकर आपसी भाईचारे का संदेश फैला रहा है। ये कहानी है मोहसिन शेख की, जो आज भी समाज में सर्वधर्म संभाव का संदेश बांट रहा है। 29 साल के मोहसिन ने पीएम मोदी, अहमदाबाद के फेमस एलिस ब्रिज और तीन दरवाजे की कृति बना चुकें है। सोमवार का दिन उनके लिए खास रहा जब उनकी बनाई भगवान शिव, कैलाश पर्वत और नंदी बैल की प्रतिमा को पंचनाथ महादेव मंदिर में स्थापित किया गया।

गुजरात के दंगों के वक्त 10वीं के स्टूडेंट थे मोहसिन शेख

मोहसिन ने बताया, ‘उस वक्त मैं 14 वर्ष का था और दसवीं का स्टूडेंट था। दंगों की वजह से मेरी पढ़ाई छूट गई और फिर बाद में घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने से पढ़ाई वापस शुरू नहीं हो पाई। दंगे में मेरे पिता की दुकान भी जल गई थी। भाईयों बहनों में सबसे बड़ा होने के कारण 1 साल बाद मैंने कार बैटरी की दुकान में लेबर का काम करने वाले पिता का हाथ बंटाना शुरू कर दिया।

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मोहसिन ने कहा, ‘दंगों का मुझ पर बुरा असर पड़ा और मैं अंतर्मुखी बन गया। मैं चॉक और पेन्सिल ग्रेफाइट से विभिन्न कृतियां बनाने लगा। धीरे धीरे मैं हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां बनाने लगा। एक दोस्त ने मुझे ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित किया और मूर्तियों की प्रदर्शनी लगाने को कहा, जिससे और लोग भी मेरा काम देख सकें। इसके बाद मैंने भगवान शिव की एक मूर्ति को मंदिर को देने का निर्णय लिया।’

मोहसिन ने कहा, ‘मैं धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता। चाहे आप मंदिर में पूजा करें या फिर मस्जिद में, अंत में यह भूख के शांत होने जैसा ही है। मेरे लिए यह कला की भूख है। चॉक स्टिक मेरे लिए कला की प्रदर्शनी करने और प्यार फैलाने का हथियार है।’

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