यूं तो गुजरात समृद्ध राज्य की श्रेणी में माना जाता हैं। यहां मिल उद्योग सहित राज्य प्रगति के पथ पर अग्रसर हैं। परन्तु यहां के किसानों ने सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाने की शुरूआत की है। सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार उसकी मांगों पर ध्यान नहीं देगी, तो आंदोलन शुरू किया जायेगा।
गुजरात किसान एकता मंच नामक संगठन के जरिए गुजरात के किसान अब संगठित हो रहे हैं। किसानों के इस संगठन ने मांग की है कि गुजरात सरकार कृषि नीति बनाये, कृषि आयोग का गठन करे। राज्य सरकार अपने बजट की 50 प्रतिशत रकम किसान एवं पशुपालकों पर खर्च करे। इसके लिए वह यह रकम कृषि-आयोग को सीधे तौर पर आवंटित करे। राज्य सरकार किसानों का ऋण माफ करने के अतिरिक्त कृषि, पशुपालक, जंगल एवं मछलीपालन जैसे उधोगों में पूजी निवेश को बढ़ावा दे। इसके लिए वह विविध योजनाएं बनाये।
राज्य के किसानों ने अपनी इन मुख्य मांगों के समर्थन में आंदोलन की शुरूआत कर दी है। गुजरात किसान एकता मंच ने इसकी शुरूआत करवायी हैं। संगठन ने ऐलान किया है कि राज्य के किसान अपनी इन मांगों के समर्थन में मिसकॉल करे। इस अभियान के तहत किसानों ने मिसकॉल का सिलसिला शुरू कर दिया है। अभी तक चार लाख से भी अधिक किसानों ने मिसकॉल कर इसमें अपना समर्थन दिया है। इससे स्पष्ट हुआ है कि राज्य के किसान सरकार की किसान विरोधी नीति के खिलाफ हैं। संगठन ने दावा किया है कि जिन किसानों ने मिसकॉल किया है, उनके नाम और नवम्बर के साथ सरकार को ज्ञापन दिया जायेगा।
किसान एकता मंच ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार किसानों की इन पांच मांगों के बारे में सकारात्मक कदम नहीं उठायेगी तो किसान आंदोलन करेंगे। इसके सभी परिणामों की जिम्मेदरी सरकार पर होगी।