गीता महोत्सव में ले गए थे गाय, अब 7 साल बाद बरी हुए संत गोपालदास…

रोहतक: गीता महोत्सव के दिन पंडित श्रीराम रंगशाला में गाय लाने के केस में अदालत ने संत गोपालदास सहित छह आरोपियों को बरी कर दिया। अदालत से बाहर आकर संत गोपालदास ने कहा कि सरकार को गोमाता के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। वे जेल जाने से नहीं डरते, गाय माता के लिए संघर्ष करते रहेंगे।

पुलिस रिकाॅर्ड के मुताबिक, 30 नवंबर 2017 को एसएचओ सिविल लाइन राजेश कुमार ने शिकायत दी थी कि मानसरोवर पार्क के पास गीता महोत्सव चल रहा था। तभी एक पिकअप गाड़ी गेट के सामने आकर रुकी, जिसमें सफेद रंग की गाय थी। गाड़ी से छह लोग उतरे और गाय सहित गाड़ी को अंदर ले जाने लगे।

रोकने पर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पुलिसकर्मियों के साथ मौजूद लोगों को काबू किया। पूछताछ करने पर हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान संत गोपालदास निवासी राजा खेड़ी, पानीपत, देवेंद्र उर्फ देव निवासी निरंजन पार्क, नगली शकरावती नजफगढ़, दिल्ली, गौतम निवासी कासंडी सोनीपत, अनूप निवासी काकड़ौद जींद, टिंकू निवासी मुरथल रोड, जीवन विहार सोनीपत व संदीप उर्फ सोनू निवासी गोयला कलां झज्जर के तौर पर हुई। तभी से जिला अदालत में केस चल रहा था। सोमवार को जेएमआईसी हिमांशु आर्य की अदालत ने साक्ष्यों के अभाव में सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया।

अदालत से बाहर आए संत गोपाल दास ने कहा कि कहीं न कहीं यह मेरी ही असफलता है कि मैं उनके मन में गोमाता के प्रति प्रेम नहीं जगा पाया। उसने ही नहीं, बल्कि प्रदेश में बहुत से लोगों ने गोमाता की मांगों को लेकर संघर्ष किया है। सरकार को गोमाता के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

बचाव पक्ष के वकील गुरु प्रसाद हुड्डा ने बताया कि केस में संत गोपालदास साढ़े पांच माह जेल में रहे। उन्होंने जमानत नहीं ली। सीआरपीसी की धारा 195 के तहत आईपीसी की धारा 332 व 353 के तहत दर्ज केस में आला अधिकारियों से लिखित अनुमति लेनी होती है, लेकिन केस में शिकायतकर्ता ने ऐसा नहीं किया। न ही हर तारीख पर आया, न ही जांच अधिकारी से पेशी से छूट के लिए अर्जी दी। ऐसे में साक्ष्यों के अभाव में अदालत ने संत गोपालदास सहित सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया।

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