बैरिस्टर वल्लभ भाई पटेल खाली समय में अहमदाबाद के गुजरात क्लब में बैठकर ब्रिज खेलते थे, उनके साथी वकील कोचरब आश्रम में गांधीजी से मिलकर आते और उनके बारे में बात करते तो पटेल, गांधीजी की मजाक उड़ाते हुए कहते कि यह बैरिस्टर ब्रम्हचर्य पालने, गटर की सफाई करने, गेहूं में से कंकर चुगने वाले देशसेवक पैदा करने का कारखाना खड़ा करना चाहते हैं।
लेकिन जब गांधीजी की सादगी, देश के प्रति समर्पण और स्वराज के प्रति उनका जुनून देखा तो ऐसे गांधी भक्त बने की उनके कहने पर प्रधानमंत्री पद तक त्याग दिया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 को नडियाद स्थित मामा डुंगर भाई देसाई के घर में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा के लिए अपने पिता झवेरभाई के पास करमसद आ गये। कानून की पढाई के बाद अहमदाबाद में वकालत करने लगे, उस जमाने में अहमदाबाद में मासिक एक लाख रु की प्रक्टिस करते थे। अहमदाबाद के वकीलों में उनकी गजब की धाक थी।
वर्ष 1915 में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे और अहमदाबाद के पालडी में कोचरण आश्रम में गुजरात व देश के सामाजिक, धार्मिक, राजनैतिक क्षैत्र के लोगों से मिलते और स्वतंत्रता की चर्चा करते। नवजीवन प्रकाशन मंदिर अहमदाबाद की पुस्तक हिंद के सरदार के अनुसार, अहमदाबाद के कई वकील भी गांधीजी से मिलने जाते और वापस गुजरात क्लब में बैठे अपने साथी बैरिस्टर वल्लभ भाई पटेल से आकर उनकी बातें बताते।
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