राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को आवंटित बंगला अब बरकरार रहेगा. सियासी संकट से जूझ रही प्रदेश की गहलोत सरकार ने तमाम कानूनी उलझनों के बावजूद वसुंधरा का बंगला बरकरार रखने और सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट से बचने का रास्ता निकाल लिया है. सरकार ने विधायकों को बंगले आवंटित करने के नियमों में ही बदलाव कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद वसुंधरा राजे का बंगला खाली नहीं कराने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को अवमानना का नोटिस भी थमाया है. इस मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से 10 सितंबर तक जवाब देने को कहा है. बंगला आवंटित करने के नियमों में बदलाव किए जाने से विधायिका और न्यायपालिका अब आमने-सामने आ गए हैं.
नए नियम के अनुसार विधानसभा की बंगला आवंटित करने वाली समिति अब सीनियर विधायकों को बड़ा बंगला यानी ए टाइप बंगला आवंटित कर सकेगी. इसे लेकर गहलोत सरकार ने दो अधिसूचना जारी की हैं. इस रास्ते राजस्थान सरकार कोर्ट की अवमानना से भी बच जाएगी और वसुंधरा राजे का बंगला भी खाली नहीं कराना पड़ेगा.
राज्य सरकार की तरफ से जारी अधिसूचना के अनुसार विधान सभा की आवास समिति प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों, केंद्र में कैबिनेट या राज्यमंत्री रहे कम से कम तीन बार के सदस्यों, प्रदेश में कैबिनेट मंत्री रहे या कम से कम 2 बार विधायक रहे व्यक्ति को ए टाइप बंगला आवंटित कर सकती है. कम से कम दो बार के पूर्व लोकसभा या राज्यसभा सदस्य को भी बड़ा बंगला आवंटित किया जा सकता है.
राजस्थान सरकार की तरफ से जारी दूसरी अधिसूचना के अनुसार चार बंगले अब सामान्य प्रशासन विभाग से हटाकर विधानसभा को सौंप दिए गए हैं. अब विधानसभा पूल के तहत इन्हें आवंटित किया जाएगा. इन चार में एक बंगला 13 सिविल लाइन का भी है, जिसमें वसुंधरा राजे सिंधिया रहती हैं. इसके अलावा पायलट गुट छोड़कर गहलोत खेमे में आए महेंद्रजीत सिंह मालवीय का 1/ 24 गांधीनगर, सीएम गहलोत के करीबी नरेंद्र बुडानिया का132 गांधी नगर और निर्दलीय विधायक महादेव सिंह खंडेला का बंगला बी-2 भगत सिंह मार्ग सी स्कीम भी शामिल है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने साल 2016 में यूपी की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई आवास की सुविधा को गैरकानूनी बताया था. उसके बाद विपक्ष में रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे से चिट्ठी लिखकर पूछा था कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री के नाते मिले अपने बंगले को मैं छोड़ दूं.
उस समय वसुंधरा राजे की सरकार ने साल 2017 में विधानसभा में पूर्व सीएम को आजीवन बंगला, वेतन और दूसरी सुविधाएं देने का कानून बना दिया था. इसे राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. राजस्थान हाईकोर्ट ने इस कानून को अवैध ठहराया था.