गर्म नही ठंडे पानी में आधे घंटे रखने से तैयार हो जाता है यह चावल, सच्चाई जानकर हो जायेंगे पागल

 कमल चावल कमाल का है। पकाने के लिए गर्म पानी की जरूरत नहीं। ठंडे पानी में आधे घंटे रख दीजिए, पककर तैयार हो जाता है। बंगाल के वर्द्धमान, नदिया समेत कई जिलों में इस खास किस्म के चावल की खेती शुरू की गई है। सामान्य पानी में ही इसे डाल दीजिए। कुछ देर में यह भात बन जाता है।

कमल धान मूलतः ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे उपजता है, माजुली द्वीप पर। पश्चिम बंगाल के कुछ किसान वहां से इस धान का बीज लेकर आए हैं। यहां खेती शुरू की तो अच्छी उपज होने लगी। इस चावल के गुणों को जानने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने इसके व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने की घोषणा की है।

जाहिर है, इससे किसानों में उत्साह है। नदिया में दस हेक्टेयर जमीन में खेती हुई है। सबसे अच्छी बात यह है कि कमल धान के उत्पादन में सिर्फ जैविक खाद का उपयोग किया जाता है। प्रति हेक्टेयर इसका उत्पादन 3.4 से 3.6 टन तक होता है। कमल धान की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि इस चावल को ठंडे पानी में रख दें। आधा घंटा में यह खुद पक जाएगा। पानी से इसे निकालकर आप सामान्य पके हुए चावल की तरह इसे खा सकते हैं।

राज्य के कृषि मंत्री आशीष बनर्जी वर्द्धमान ने कहा है कि प. बंगाल सरकार इसके व्यवसायिक उत्पादन पर जोर दे रही है। नदिया जिले में कमल धान की खेती को प्रोत्साहित कर रहे सहायक कृषि निदेशक अनुपम पाल ने बताया कि नदिया में दस हेक्टेयर में प्रयोग के तौर पर इसकी खेती की गई है। इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। धान से चावल निकालना भी काफी सरल है। धान को उबालकर धूप में सुखा लें। फिर कूटकर चावल अलग कर लें। लिहाजा, किसानों के लिए यह हर तरह से फायदे का सौदा साबित हो रहा है।

कमल धान की खेती करने वाले कई किसानों ने बताया कि इस चावल का प्रयोग सैकड़ों वर्ष पहले सैनिक किया करते थे। क्योंकि युद्ध के दौरान सैनिक खाना पकाने की दुश्र्वारी नहीं चाहते थे। वे कहीं से भी प्याज-मिर्च व नमक की व्यवस्था कर इस चावल का भोजन कर लेते थे। सहायक निदेशक अनुपम पाल कहते हैं कि कमल चावल काफी पौष्टिक है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, पेप्टिन समेत कई पौष्टिक तत्व मिलते हैं।

यह चावल सामान्य से थोड़ा मोटा होता जबकि इसका पौधा पांच फीट तक ऊंचा होता है। कमल धान की खेती करने वाले वीरभूम के लावपुर के किसान अतुल गोराई ने कहा कि दो वर्ष से कमल धान की खेती कर रहे हैं। अगले वर्ष से इसकी ज्यादा खेती करेंगे।

पश्चिम मेदिनीपुर के मोहनपुर प्रखंड के गोमुंडा गांव के किसान निताई दास ने कहा कि कमल चावल ठंडे पानी में पक जाता है। इसकी कीमत करीब 60 से 80 रुपये किलो तक है। अपने घर की जरूरत के मुताबिक इसकी खेती करते हैं। किसान गोकुलचंद महापात्रा ने बताया कि थोड़ा मोटा चावल है। लेकिन सब्जी, गुड़ के साथ खाने में खूब स्वाद आता है। अभी अपने घर में खाने के लिए इसकी खेती कर रहे हैं।

कमाल का कमल

ठंडे पानी में आधे घंटे रखते ही पककर हो जाता तैयार

– पश्चिम बंगाल के वर्द्धमान, नदिया समेत कई जिलों में हो रही खेती

– असम के माजुली द्वीप से लाया गया था कमल धान का बीज

– पश्चिम बंगाल सरकार ने व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने की घोषणा की

ये हैं अन्य खूबियां

सिर्फ जैविक खाद से होता तैयार।

– पौधा पांच फीट तक ऊंचा।

– प्रति हेक्टेयर 3.4 से 3.6 टन उत्पादन।

– सामान्य से थोड़ा मोटा आकार।

– पौष्टिक तत्वों से भरपूर।

– स्वाद बेजोड़।

– कीमत 60 से 80 रुपये किलो।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com