हिन्दू धर्म के अनुसार गणेश जी परम पूज्य देवता माने जाते है। जी हां तभी तो किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले उनका नाम जरूर लिया जाता है। हालांकि गणेश जी के जन्म के बारे में कई तरह की कथाएं प्रचलित है। मगर आज हम आपको उनके जन्म के बारे में नहीं बल्कि ये बताएंगे कि आखिर गणेश जी का कटा मस्तक किस गुफा में जा कर गिरा था। वैसे हम ये भी कह सकते है कि शिव जी ने खुद उनका कटा हुआ मस्तक इस गुफा में रखा था। ये तो सब को मालूम है कि शिव जी ने गुस्से में आ कर गणेश जी का सिर अपने त्रिशूल से काट दिया था। ऐसे में माता पार्वती के आग्रह करने पर शिव जी ने गणेश जी को हाथी का मस्तक ही लगा दिया।
वही गणेश जी का जो कटा हुआ मस्तक था उसे शिव जी ने एक गुफा में रख दिया। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान समय में यह गुफा उत्तराखंड के पिथोरागढ़ में स्थित है। गौरतलब है कि इसे पाताल भुवनेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। जी हां स्कन्द पुराण के अनुसार जहाँ गणेश जी का कटा मस्तक रखा गया था, उसे पाताल भुवनेश्वर में नाम से ही जाना जाता है। यहाँ पर गणेश जी की जो मूर्ति विराजित है उसे कोदिगनेश भी कहा जाता है। यही वजह है कि इस जगह पर नाजाने कितने ही भक्त आते है।
वही धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा माना जाता है कि इस गुफा की खोज आदिशंकराचार्य ने की थी। इसके इलावा आपको बता दे कि गणेश जी की कटी हुई शिलारूपी मूर्ति के ठीक ऊपर एक सौ आठ पंखुड़ियों वाला श्वाष्टक दल ब्रह्माकमल भी सुशोभित किया गया है। जी हां इस ब्रह्माकमल से ही गणेश जी के शिलारूपी मस्तक पर जल की दिव्य बूंदे टपकती रहती है। वही सबसे पहली बून्द आदिगनेश जी के मुख में गिरती हुई दिखाई देती है।
हालांकि ऐसा माना जाता है कि यह ब्रह्माकमल शिव जी ने यहाँ स्थापित किया था। बता दे कि यहाँ केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के भी दर्शन होते है। यहाँ तक कि तक्षक नाग की आकृति भी गुफा में बनी चट्टान में नजर आती है। हमें उम्मीद है कि आप जब खुद इस जगह पर जायेंगे कि तो आपको इसी जीवन में मोक्ष की प्राप्ति जरूर होगी।
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