देश के नए चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर होंगे. खेहर 4 जनवरी को शपथ लेंगे. इस पद पर खेहर करीब 7 महीने तक रहेंगे. जगदीश खेहर देश के सबसे सख्त फैसले लेने वाले जज के तौर पर विख्यात हैं.
खेहर मौजूदा चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की जगह लेंगे. इस समय कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर टकराव की कई खबरें आ रही रही हैं. ऐसे वक्त पर जगदीश खेहर का चीफ जस्टिस बनना क्या ट्विस्ट लाएगा, यह तो वक़्त ही बताएगा.
खेहर पहले सिख जस्टिस होंगे. जस्टिस जगदीश सिंह खेहर का जन्म 28 अगस्त 1952 को हुआ था. साल 1974 में चंडीगढ़ के गवर्नमेंट कॉलेज से उन्होंने साइंस में ग्रेजुएशन किया. उसके बाद 1977 में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की. 1979 में इसी यूनिवर्सिटी से उन्होंने एलएलएम किया जिसमें उनको गोल्ड मेडल मिला.
साल 1999 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के बेंच में जस्टिस खेहर की पदोन्नति हुई. उसके बाद 2008 और 2009 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के दो बार एक्टिंग चीफ जस्टिस बने. साल 2009 में ही वे उत्तराखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने.
साल 2010 में जस्टिस खेहर का ट्रांसफर कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर किया.
साल 2011 में खेहर सुप्रीम कोर्ट के जज बने.सख्त जज के तौर पर खेहर ने कई फैसले और टिप्पणियां की हैं, लेकिन इन फैसलों ने पीएम मोदी से लेकर सहारा प्रमुख तक की रातों की नींद और दिन का चैन चुरा लिया.
जगदीश खेहर के ऐलान
जब जड़ा मोदी सरकार पर तमाचा
जेएस खेहर ने इस साल जनवरी में अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले को दरकिनार किया था. जगदीश ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल ज्योति प्रसाद राजखोवा के विधानसभा को जनवरी 2016 से दिसंबर तक रद्द करने के फैसले को खारिज कर दिया था और मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार को दोबारा बहाल करने का आदेश दिया.
सुब्रत राय ने पीसी जेल की चक्की
जगदीश ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को जेल भेजने का अहम फैसला लिया. सुब्रत की दो कंपनियों में लोगों की ओर से निवेश किए गए धन को लौटाने से जुड़े मामले की सुनवाई के बाद सुब्रत को जेल भेजने का आदेश दिया था.
सबको समान काम और वेतन
जेएस ने हाल ही में एक अहम फैसला किया था. इस फैसले में ‘समान काम के लिए समान वेतन’ का सिद्धांत यह सिद्धांत दिहाड़ी कामगारों, अस्थायी कर्मियों एवं अनुबंध पर काम करने वाले कर्मियों पर भी लागू होता है. जो नियमित कर्मियों जैसी ही ड्यूटी करते हैं.
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को किया रद्द
जे एस की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने ही सरकार की राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) कानून को खारिज कर दिया था. केन्द्र सरकार ने अगस्त, 2014 में NJAC एक्ट बनाया था. यह एक्ट संविधान में संशोधन करके बनाया गया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि NJAC बनाने वाले कानून से संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन होता है.
मुकुल रोहतगी को मुंहतोड़ जवाब
संविधान दिवस के मौके पर जस्टिस खेहर ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी के भाषण का जवाब दिया. उन्होंने कहा, “न्यायपालिका को सभी व्यक्तियों, नागरिकों और गैर-नागरिकों को सत्ता के भेदभाव और दुरुपयोग से बचाने का अधिकार दिया गया है. न्यायपालिका की सक्रियता के कारण ही नागरिकों की स्वतंत्रता, समानता और गरिमा इतनी विकसित हो सकी है.”