खेती और मजदूरी के लिए ही उन्होंने गाहे-बगाहे ही गांव से बाहर कदम रखा होगा। समाज ने उन्हें अब तक इसी सीमा में बांध रखा था। इनके घूंघट पर मत जाइए, ये सम्मान का पर्दा है। घर-परिवार, समाज-प्रशासन ने जरा सा भरोसा जताया और उन पांचों ने मिलकर कैफे का संचालन शुरू कर दिया। सुबह किराना लाने से लेकर शाम तक सैकड़ों ग्राहकों के लिए चाय-काफी, नाश्ते का इंतजाम सबकुछ वे मिलकर करती हैं। यह है रतलाम की पंचायत कैफे। महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जिले में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना के अंतर्गत शुरू किया गया। जिला पंचायत कार्यालय परिसर में पांच ग्रामीण महिलाएं इसे चला रही हैं। कैफे की जिम्मेदारी दो अलग-अलग स्व सहायता समूहों को दी गई है।
जिला पंचायत ने एक लाख 60 हजार का ऋण उपलब्ध कराया है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के जिला परियोजना प्रबंधक हिमांशु शुक्ला के अनुसार 26 जनवरी से जावरा, बाजना व सैलाना जनपद की ग्राम पंचायत शिवगढ़ में पंचायत कैफे शुरू किया जाएगा। जिले में 1629 महिला स्व सहायता समूह हैं।
ये महिलाएं
– 28 साल की लक्ष्मी आठवीं पास हैं। यह अपनी तीन व छह साल की बेटी को सास के पास छोड़कर आती हैं।
– 45 वर्षीय कला और 42 वर्षीय लीला मकवाना पांचवीं तक पढ़ी-लिखी हैं।
– 45 वर्षीय राजूबाई पढ़ी-लिखी नहीं हैं लेकिन रसोई संभाल रखी है।
– 22 वर्षीय सुशीला मकवाना 12वीं पास हैं इसलिए हिसाब-किताब का जिम्मा उनके कंधों पर है।
कामकाजी महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए समूहों का गठन किया गया है। रोजगार स्थापित करने के लिए ऋण भी उपलब्ध कराया जा रहा है।
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