मैटरनिटी बेनेफिट ऐक्ट (मातृत्व लाभ अधिनियम), 1961 में अमेंडमेंट के बाद कामकाजी महिलाओं के लिए 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव (मातृत्व अवकाश) की राह खुल सकती है। इस कदम का मकसद कमिशनिंग मदर्स को 12 हफ्तों की मैटरनिटी लीव मुहैया कराना और नर्सिंग मदर्स के लिए ‘वर्क फ्रॉम होम’ के प्रावधान को लाना है। लेबर मिनिस्ट्री के एक सीनियर ऑफिसर ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया कि लेबर मिनिस्ट्री की तरफ से प्रस्तावित बदलावों को हाल में कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। चूंकि, ऐक्ट में प्रस्तावित यह बदलाव महिलाओं के लिए फायदेमंद हैं, ऐसे में मिनिस्ट्री को उम्मीद है कि अमेंडमेंट राज्यसभा में आसानी से पास हो जाएगा।
महिला एंप्लॉयीज को 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव को सरकार ने किया प्रस्तावित
इस बिल के राज्यसभा में पास होने के बाद इसे लोकसभा में रखा जाएगा, जहां एनडीए के पास बहुमत है। ऑफिसर ने बताया, ‘प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर दोनों में काम करने वाली महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश को बढ़ाकर 26 हफ्ते किया जाएगा, जो अभी 12 हफ्ते है।’ हालांकि, 26 हफ्तों की मैटरनिटी लीव उन महिला कर्मचारियों को नहीं मिलेगी, जिनके दो या इससे अधिक बच्चे हैं। ऑफिसर के मुताबिक अमेंडमेंट बिल में बच्चे के लिए सरोगेसी का इस्तेमाल करने वाली कमिशनिंग मदर्स के लिए भी 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव का प्रस्ताव है। साथ ही, तीन महीने से कम की उम्र का बच्चा गोद लेने वाली कामकाजी महिलाओं के लिए भी 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव देने का प्रस्ताव है।
ऑफिसर ने बताया, ‘इसके अलावा, संशोधन अधिनियम में एक सक्षम प्रावधान होगा, जो कि नर्सिंग मदर्स को मैटरनिटी लीव के 26 हफ्तों के बाद वर्क फ्रॉम होम की इजाजत देगा, यह उनके जॉब प्रोफाइल पर निर्भर करेगा।’ लेकिन वर्क फ्रॉम होम का विकल्प, वहीं उपलब्ध होगा जहां एंप्लॉयीज को नियत कार्य उसे ऐसा करने की इजाजत दे। महिला कर्मचारी और उनके एंप्लॉयर को वर्क फ्रॉम होम अरेंजमेंट की अवधि को लेकर आपसी तौर पर सहमत होना चाहिए। विमिन फ्रेंडली उपायों में 50 एंप्लॉयीज रखने वाली कंपनियों के लिए व्यक्तिगत रूप से क्रेच बनाना या एक तय दूरी के भीतर कुछ फर्मों द्वारा मिलकर एक कॉमन फैसिलिटी तैयार शामिल है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal
