केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के दौर में मुश्किल में चल रहे देश के करीब 7 करोड़ खुदरा दुकानदारों को भी बड़ी राहत दी है. वे भी अब उस 3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज वाले गारंटीड इमरजेंसी क्रेडिट या जीईसी स्कीम का फायदा उठा पाएंगे जिसका 20 लाख करोड़ के राहत पैकेज के तहत ऐलान किया गया था.
गौरतलब है कि गत 12 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना संकट से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज देने का ऐलान किया था.
इसके अगले दिनों में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लगातार पांच प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अलग-अलग सेक्टर के लिए पैकेज का ब्योरा दिया था.
वित्त मंत्री ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को 3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज देने की सरकारी गारंटी वाली योजना का ऐलान किया था.
करीब 62 दिन के लॉकडाउन से बर्बाद हो चुके खुदरा दुकानदारों को भी बड़ी राहत देते हुए सरकार ने इस लोन के लिए उन्हें भी योग्य मान लिया है, जबकि वे एमएसएमई नहीं माने जाते.
वित्त मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इससे करीब 7 करोड़ खुदरा दुकानदारों को फायदा मिलेगा. इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम के तहत नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी (NCGTC) एमएसएमई को दिए जाने वाले कुल 3 लाख करोड़ रुपये के लोन की गारंटी देगी. इस योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी 22 मई को मुहर लगा दी है.
नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट कंपनी द्वारा जारी गाइडलाइन में यह स्पष्ट किया गया है कि एमएसएमई, प्रॉपराइटरशिप या पार्टनरशिप के तहत गठित बिजनेस एंटरप्राइजेज, रजिस्टर्ड कंपनीज, ट्रस्ट और लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLPs) और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत उधार लेने के इच्छुक कारोबारियों को भी इस योजना के लिए पात्र माना जाएगा.
कंफडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स एसोसिएशन (CAIT) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने आजतक-इंडिया टुडे को बताया, ‘कोविड-19 लॉकडाउन ने खुदरा कारोबारियों और व्यापारियों को भारी नुकसान पहुंचाया है.
60 दिन से ज्यादा के लॉकडाउन से उन्हें 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है और इससे जीएसटी कलेक्शन को भी 1.5 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है.’
CAIT का अनुमान है कि कोरोना से पहले हर दिन खुदरा कारोबारियों के द्वारा करीब 15,000 करोड़ रुपये का कारोबार होता था. खंडेलवाल ने कहा कि यह नुकसान दुकानदारों के लिए भारी पड़ने वाला है क्योंकि इसकी भरपाई मुश्किल है.