चालू खरीफ सीजन में फसलों की बोआई और धान की रोपाई अपने अंतिम चरण में है। खरीफ खेती का रकबा पिछले सालों के मुकाबले नये रिकार्ड को पार कर चुका है। इसकी वजह से यूरिया जैसी खाद की मांग भी बढ़ गई है, जिससे कई राज्यों में किल्लत भी महसूस की जा रही है। मानसून की अच्छी बारिश के चलते चालू सीजन में बंपर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।
वर्ष 2019-20 में चालू सप्ताह तक 10.09 करोड़ हेक्टेयर में बोआई हो चुकी थी। जबकि चालू सीजन में अब तक 10.82 करोड़ हेक्टेयर रकबा में बोआई और धान की रोपाई हो गई है। बोआई का यह यह रकबा पिछले साल के मुकाबले 72.24 लाख हेक्टेयर अधिक है। यह अब तक के सर्वाधिक बोआई रकबा के रिकार्ड को पार कर गया है। वर्ष 2016 में खरीफ सीजन के दौरान कुल 10.75 करोड़ हेक्टेयर में रिकार्ड खेती हुई थी।
असम, पश्चिम बंगाल और दक्षिणी राज्यों में धान की रोपाई अभी भी जारी है। खरीफ सीजन में धान की रोपाई में वृद्धि के मद्देनजर यूरिया की मांग भी बढ़ी है। कई राज्यों में यूरिया की किल्लत को लेकर हायतौबा भी मची हुई है। चालू सीजन में धान की रोपाई 3.89 करोड़ हेक्टेयर पहुंच गई है, जो पिछले साल 3.54 करोड़ हेक्टेयर के मुकाबले 35 लाख हेक्टेयर अधिक है। मानसून की बारिश लगातार होने से यह रकबा और बढ़ सकता है।
खरीफ खेती के प्रदर्शन के मद्देनजर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने दावा किया ‘चालू खरीफ सीजन में 14.99 करोड़ टन खाद्यान्न की पैदावार होगी। जबकि फसल वर्ष 2020-21 में खाद्यान्न की कुल पैदावार 29.83 करोड़ टन होने का अनुमान है।’ खरीफ फसलों के शानदार प्रदर्शन के बारे में उन्होंने कहा कि मानसून की अच्छी बरसात और किसानों की मेहनत से यह उपलब्धि प्राप्त हुई है।
चालू सीजन में तिलहन, दलहन और मोटे अनाज वाली फसलों की खेती का रकबा भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ा है। मंत्रालय की ओर से जारी बोआई आंकड़े के मुताबिक दलहन की खेती का रकबा 4.60 फीसद, मोटे अनाज का रकबा 2.55 फीसद, तिलहन का रकबा सर्वाधिक 13 फीसद से भी अधिक बढ़ गया है। कुल फसलों को बोआई रकबा में 7.15 फीसद की वृद्धि दर्ज की जा चुकी है।