New Delhi : बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई क्रिकेट असोसिएशन से पूछा कि आईपीएल को खेल गतिविधि समझा जाए या कमाई का साधन।यह बात तबसे उठनी शुरू हुई थी जब इस सीजन के लिए एमसीए ने बीएमसी से ग्राउंड और पिच के रखरखाव के लिए पानी लिया था। जैसा कि महाराष्ट्र अक्सर पानी की कमी से जूझता रहता है और इसको लेकर कालांतर में कई किसानों ने आत्महत्या तक की है।
ऐसे में सिविल सोसाइटी ने मैदान के रखरखाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले पानी को लेकर एक याचिका दायर की थी। इस याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस एएस ओका और विभा कनकनवाड़ी की बेंच ने यह सवाल उठाया।
साल 2016 में हाईकोर्ट ने घोषणा की थी कि महाराष्ट्र में पानी की कमी को देखते हुए आईपीएल के सभी मैच महाराष्ट्र राज्य के बाहर आयोजित कराए जाएं। रविवार को बेंच ने एमसीए से पूछा कि क्या उन्होंने वानखेड़े मैदान के रखरखाव के लिए इस साल बीएमसी से पानी लिया है?
एमसीए को जमकर फटकार लगाते हुए जस्टिस ओका ने कहा, “हम ये एमसीए से ये भी जानना चाहेंगे कि आईपीएल स्पोर्टस गतिविधि है या व्यवसायिक गतिविधि। कैटेगिरी सी कहती है कि पानी की सप्लाई इंडस्ट्रियल और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए की जाए। तो क्या आईपीएल उस कैटेगिरी में आता है? क्या यह एक व्यवसायिक गतिविधि है?”
एमसीए से इस संबंध में एक एफीडेविट फाइल करने को बोला गया है कि आईपीएल स्पोर्ट्स गतिविधि है या व्यावसायिक। इस मामले में अगली सुनवाई 14 अगस्त को होगी। हाल ही में आईपीएल 10 सीजन का आयोजन किया गया था जिसके कई मैच महाराष्ट्र के विभिन्न शहरों में आयोजत किए गए थे।
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