क्यों भारतीयों में कम हो जाता है विटामिन-डी? 

विटामिन-डी को सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है, क्योंकि यह धूप से मिलता है। जी हां, विटामिन-डी का सबसे अच्छा सोर्स धूप है। जब हमारी स्किन धूप के संपर्क में आती है, तो शरीर विटामिन-डी बनाता है। इसलिए विटामिन-डी के लिए धूप जरूरी है। हालांकि, भारत में, जहां साल के ज्यादातर समय धूप रहती है, फिर भी लोगों में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इतनी तेज धूप के बावजूद ऐसा क्यों हो रहा है? दरअसल, इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हैं। आइए जानें भारतीयों में विटामिन-डी की कमी के क्या कारण हैं।

त्वचा का रंग
भारतीयों की त्वचा में मेलेनिन की मात्रा ज्यादा होती है। मेलेनिन एक नेचुरल सनस्क्रीन की तरह काम करता है जो सूरज की हानिकारक यूवी किरणों से बचाता है। लेकिन यही मेलेनिन, विटामिन-डी के निर्माण में बाधक भी बन जाता है। डार्क स्किन को विटामिन-डी बनाने के लिए लाइन कलर स्किन की तुलना में 3-5 गुना ज्यादा समय धूप में रहने की जरूरत होती है।

लाइफस्टाइल में बदलाव
मॉडर्न लाइफस्टाइल इस समस्या की सबसे बड़ी जड़ है। ज्यादातर लोग, खासकर शहरी इलाकों में, घरों और दफ्तरों की चारदीवारी में सीमित हो गए हैं। बच्चे खेल के मैदानों की बजाय मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन के सामने समय बिताते हैं। इस “इनडोर” लाइफस्टाइल ने हमें धूप से दूर कर दिया है। सुबह और शाम की कोमल धूप के बजाय, लोग दोपहर की तेज धूप में निकलते हैं जो सेहत के लिए हानिकारक हो सकती है।

धूप से बचना
समाज में आम धारणा है कि गोरा रंग खूबसूरती का प्रतीक है। इस वजह से, खासकर महिलाएं और लड़कियां, धूप से बचने के लिए तरह-तरह के उपाय करती हैं। छतरी का इस्तेमाल, पूरी बाजू के कपड़े पहनना, और सनस्क्रीन लगाना आम बात है। धूप से बचने के कारण भी शरीर में विटामिन-डी की कमी हो जाती है।

प्रदूषण का बढ़ता स्तर
वायु प्रदूषण, खासकर स्मॉग और अन्य हानिकारक कण, सूरज की यूवी किरणों को सोख लेते हैं और उन्हें जमीन तक पहुंचने से रोकते हैं। ऊंची इमारतों के जंगल में रहने वाले लोगों तक धूप की सही मात्रा पहुंच ही नहीं पाती।

खान-पान में कमी
भारतीय खान-पान में विटामिन-डी के नेचुरल सोर्स, जैसे- मछली, अंडे की जर्दी, फोर्टिफाइड दूध आदि सीमित मात्रा में खाया जाता है।

धूप लेने का गलत तरीका
केवल धूप में बैठने भर से विटामिन-डी नहीं बनता। इसके लिए सही समय और सही तरीका जरूरी है। विटामिन-डी के सिंथेसिस के लिए सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच की धूप सबसे बेहतर मानी जाती है, जबकि लोग इस समय धूप से बचते हैं। साथ ही, शरीर का कम से कम 40% हिस्सा (हाथ-पैर और चेहरा) खुला होना चाहिए और कम से कम 20-30 मिनट तक धूप में रहना जरूरी है। शीशे के पीछे बैठकर धूप लेना भी बेकार है, क्योंकि शीशा यूवी किरणों को रोक देता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com