एआई बीते कुछ महीनों में काफी चर्चा में है क्योंकि टेक्नोलॉजी ने कई क्षेत्रों में अच्छा काम करती नजर आई है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में पता चला है कि एआई लोगों की जॉब नहीं लेगी बल्कि उनके काम को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है। इसके अलावा लोगों का यह भी मानना है कि इससे जॉब्स बेहतर होंगी।
बढ़ती टेक्नोलॉजी ने लोगों को बहुत से इनोवेशन और बदलाव दिखाए हैं। ऐसे में एआई एक ऐसी टेक्नोलॉजी के रुप में उभरी है, जो लोगों के साथ-साथ बड़ी-बड़ी कंपनियों को भी मदद करती नजर आ रही है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल है कि क्या एआई लोगों की जॉब को भी प्रभावित करेंगी। इसका जवाब एचपी के एक नए सर्वे में पेश किया गया है।
मंगलवार को जारी एक नए एचपी सर्वे के अनुसार दुनिया भर में ज्यादातर कर्मचारी थकान, भारी काम के बोझ और अत्यधिक तनाव से जूझ रहे हैं, लेकिन कई लोग आशावादी हैं कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता इन समस्याओं को कम करने में मदद कर सकती है।
वर्कप्लेस में मनोबल की कमी
इसके अलावा केवल 27 प्रतिशत वर्कर्स को लगता है कि उनका अपने काम के साथ अच्छा संबंध है। यह कर्मचारियों और व्यवसायों के लिए एक जरूरी समस्या है, क्योंकि कोई भी कंपनी प्रेरित और संलग्न कार्यबल के बिना लंबी अवधि में सफल नहीं हो सकती है।
एचपी इंक के वर्क रिलेसनशिप इंडेक्स ने भारत सहित 12 देशों के विभिन्न उद्योगों में 15,600 उत्तरदाताओं पर सर्वे किया और इसके निष्कर्षों से पता चलता है कि दुनिया भर के वर्कप्लेस में मनोबल कम है। आपको बता दें कि इसका उद्देश्य लोगों के उनकी नौकरियों के साथ संबंधों के बारे में जानना है।
क्या मिले निष्कर्ष
इस सर्वे में कई निष्कर्ष निकाले गए, जिसमें कुछ लोगों को डर है कि एआई लोगों की जगह ले सकता है, इस बात की संभावना बढ़ रही है कि एआई वास्तव में कार्यस्थल पर रिश्तों को बेहतर बना सकता है।
वहीं सर्वेक्षण में शामिल 55 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता से कार्यस्थल पर नए अवसर खुलेंगे, जबकि 75 प्रतिशत बिजनेस लीडर्स ने कहा कि एआई से नौकरियां आसान हो जाएंगी।
लास वेगास में एचपी एम्प्लीफाई पार्टनर कॉन्फ्रेंस से पहले एचपी इंक में एचपी वर्कफोर्स सॉल्यूशंस के अध्यक्ष डेव शुल ने कहा कि एआई हमारे काम की गतिशीलता को बदलने और सभी के लिए अधिक पॉजीटिव और प्रोडक्टिव वातावरण लाने का एक महत्वपूर्ण अवसर देता है।
क्या नौकरियों के लिए खतरा है AI ?
जनरेटिव एआई तकनीक में सबसे अधिक चर्चित विषय भले नहीं है, लेकिन यह कार्यबल और संगठनों को भी बदल रहा है। जेनरेटिव एआई एक प्रकार की कृत्रिम बुद्धिमत्ता है जो इमेजड, टेक्स्ट या अन्य कंटेंट को जनरेट करने में सक्षम है।
उम्मीद है कि प्रौद्योगिकी प्रोडक्टशन को बढ़ावा देगी, लागत में कटौती करेगी और उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला में विकास के नए अवसर पैदा करेगी। ओपनएआई के चैटजीपीटी के लॉन्च के बाद से, एक एआई चैटबॉट जो एक लार्ज लैंग्वेज मॉडल पर बनाया गया है, जो आपके सवालों के जवाब देने में मदद करता है।
इसने इस बात पर बहस छेड़ दी है कि एआई उद्योगों और काम में कैसे क्रांति ला सकता है। और संभवतः नौकरियों को भी निरर्थक बना सकता है।
ये आपके कुछ डेली काम को आसानी से कर सकता है और आपको इससे ज्यादा टाइम मिल जाएंगा ताकि आप अधिक दिमाग लगाने वाले काम करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में हम कह सकते हैं कि लोगों की नौकरी लेने के बजाय यह आपके काम को आसान कर देगा।