जानिए डिलीवरी के बाद सेक्स कब करें, कैसे करें और डिलीवरी का सेक्सुअल लाइफ पर क्या असर पड़ता है के बारे में। बच्चे को जन्म देने के बाद किसी भी महिला के लिए अपने यौन जीवन (sexual life) में पहले की तरह लौटना आसान नहीं होता है और न ही यह उसकी पहली प्राथमिकता रह जाती है। पहली बार बच्चे को जन्म देने वाली 90 प्रतिशत महिलाओं की योनि के कुछ ऊतक बाहर निकल आते हैं या कभी-कभी एक चीरा लगाने पर यह कटकर बाहर निकल आते हैं जिसे एपिसियोटॉमी (episiotomy) कहा जाता है।
यदि किसी महिला की सिजेरियन सेक्शन (caesarean section) डिलीवरी हुई हो तो ऐसे में इसमें बहुत दर्द होता है। इस स्थिति में जब तक यह पूरी तरह से ठीक नहीं होता है तब तक किसी भी महिला के लिए सेक्स करने में कठिनाई होती है। इसलिए आमतौर पर डॉक्टर या मिडवाइफ डिलीवरी के बाद महिला को कम से कम छह हफ्ते बाद सेक्स करने की सलाह देते हैं।
प्रसव के बाद आमतौर पर डॉक्टर या मिडवाइफ महिला का शारीरिक परीक्षण (physical examination) करते हैं। इसके बाद जितना जल्दी महिला का शरीर दोबारा से सेक्स करने के लिए तैयार हो जाता है, डॉक्टर उसे इस बारे में बता देते हैं। लेकिन हर महिला को बच्चे को जन्म देने के बाद दोबारा से यौन जीवन में लौटने से पहले एक बार अपना शारीरिक परीक्षण जरूर करा लेना चाहिए। कुछ एक्सपर्ट सुझाव देते हैं कि बच्चे को जन्म देने के बाद जब तक ब्लीडिंग पूरी तरह से बंद न हो जाएं तब तक सेक्स नहीं करना चाहिए, क्योंकि महिला के कोख (womb) में संक्रमण होने का खतरा रहता है और इसे ठीक होने में भी काफी समय लगता है।
एक स्टडी में पाया गया है कि पहली बार मां बनने वाली करीब 41 प्रतिशत महिलाएं डिलीवरी के छह हफ्ते बाद सेक्स करना शुरू कर देती हैं। जबकि लगभग 78 प्रतिशत महिलाएं बच्चे को जन्म देने के 12 हफ्ते बाद सेक्स करना पसंद करती हैं। यदि महिला की वेजाइनल डिलीवरी हुई हो तो वह 6 हफ्ते बाद सेक्स कर सकती है। लेकिन यदि महिला की एपिसियोटॉमी (episiotomy) और सी सेक्शन डिलीवरी हुई हो तो उसे कम से कम बाहर हफ्ते तक इंतजार करना चाहिए। आपको बता दें कि वजाइनल डिलीवरी की अपेक्षा सी सेक्शन सर्जरी अधिक गंभीर होती है इसलिए आपको किसी भी परिस्थिति में दोबारा से सेक्सुअल लाइफ में लौटने से पहले काफी लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।
बच्चे को जन्म देने के बाद दोबारा से सेक्स करने के लिए कुछ हफ्तों का इंतजार करने का सबसे बड़ा कारण यह है कि डिलीवरी के दौरान महिला के गर्भाशय से नाल (placenta) बाहर निकल आता है और यह गर्भाशय में एक घाव छोड़ देता है। जिसके कारण गर्भाशय को ठीक होने में समय लगता है। समय के साथ इस घाव में रक्त वाहिकाएं (blood vessels) रक्त के थक्के से स्वाभाविक रूप से बंद हो जाती हैं। लेकिन इसमें कम से कम तीन से चार हफ्ते का समय लगता है।
छह हफ्ते से पहले सेक्स करने से सेक्स के दौरान योनि में काफी दबाव पड़ता है और रक्त वाहिकाएं दोबारा से टूट जाती हैं। इसके कारण वहां हवा प्रवेश कर जाती है और महिला की परेशानी बढ़ जाती है और फिर से गर्भाशय में घाव बनने की आशंका रहती है। इसलिए आमतौर पर बच्चे को जन्म देने के करीब 6 हफ्ते बाद ही सेक्स करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे महिला को किसी तरह की ब्लीडिंग नहीं होती है।