योग से हमारा शरीर निरोग रहता है. शरीर के हर हिस्से के लिए अलग तरह का योग होता है जिससे आप अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. योग हमारे जीवन में संजीवनी बूटी बनकर आया हैं. हांलाकि भारत में योग कई सालों से हैं लेकिन अब इसकी महत्ता सभी को समझने आने लगी हैं.
इसी एक साथ बता दें, हर साल 21 जून का दिन पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के तौर पर मनाया जाता हैं. इसी के चलते आपको बता दें कि शरीर का संतुलन बनाये रखने के लिए आपको कौनसा योग करना चाहिए. हम आपके उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन योग की विधि और इसके फायदों की जानकारी लेकर आए हैं.
उत्थित हस्त पादंगुष्ठासन करने की विधि
ताड़ासन में खड़े हो जायें. श्वास अंदर लें और अपनी दाईं टाँग को उठा कर घुटने को पेट के समीप ले आयें. इस मुद्रा में आपके दायें कूल्हे पर खिचाव आएगा. अगला स्टेप करने से पहले अपना संतुलन पक्का कर लें. संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान अपनी बायें टाँग पर रखें. अब आपना बायां हाथ कमर पर रख लें. फिर दाए हाथ से दाए पैर का अंगूठा पकड़ लें और दाए टाँग को आगे की तरफ बढ़ायें.
कोशिश होनी चाहिए की टाँग पूरी तरह से सीधी हो जाए और जितनी ऊपर हो सके उतनी ऊपर कर लें. ध्यान रहे की अपनी क्षमता के अनुसार ही करें अगर टाँग सीधा ना की जाय, तो उसे मुड़ा रखें.
इस मुद्रा में आने के बाद, हो सके तो साँस छोड़ते हुए सिर को घुटने पर छुएँ. यह करने के बाद इस मुद्रा में पाँच बार साँस अंदर और बाहर लें. फिर साँस अंदर लेते हुए सिर को उठायें. अगर सिर को घुटने पर छूना मुमकिन ना हो तो, सिर्फ़ सिर झुका कर ज़मीं की तरफ देखें और पाँच बार साँस अंदर और बाहर लें और फिर सिर को उठायें. अब अपनी दृष्टि सामने की ओर रखते हुए और साँस छोड़ते हुए अपनी दाईं टाँग को बाहर की तरफ घुमाएँ.
हो सके तो 90 दर्जे तक घुमाएँ. इस मुद्रा में आने के बाद सिर को बायें ओर घुमाएँ जब तक की आपकी दृष्टि बाएँ कंधे के उपर ना आ जाए. कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें. धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें.
5 बार साँस लेने के बाद आप इस मुद्रा से बाहर आ सकते हैं. आसन से बाहर निकलने के लिए साँस अंदर लेते हुए सिर को सामने की ओर वापिस ले आयें, और फिर दाईं टाँग को भी. एक बार फिर सिर को घुटने पर टिकाए और वापिस उपर ले आयें इस बार पाँच बार साँस नहीं लेना है.
दाएँ हाथ को भी कमर पर रख लें, पर दाईं टाँग को उठाए रखें इस मुद्रा में पाँच बार साँस अंदर और बाहर लें. आसन समाप्त करने के लिए दाईं टाँग को नीचे कर लें, दोनो हाथों को भी नीचे कर लें और ताडासन में समाप्त करें. दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें.