कौन हैं लिंगायत और कर्नाटक की राजनीति में क्या है 18 % लिंगायत समुदाय का महत्व

कौन हैं लिंगायत और कर्नाटक की राजनीति में क्या है 18 % लिंगायत समुदाय का महत्व

कर्नाटक में होने वाले विधानसभा चुनाव से ऐनवक्त पहले सत्ताधारी कांग्रेस की सिद्घारमैया सरकार ने एक बड़ा सियासी दांव चला है। राज्य कैबिनेट ने लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने का अहम फैसला किया है। राज्य सरकार के इस फैसले को मास्टर स्ट्रोक की तरह देखा जा रहा है।कौन हैं लिंगायत और कर्नाटक की राजनीति में क्या है 18 % लिंगायत समुदाय का महत्व

अब बात करते हैं उस समुदाय की जिसको सिद्घारमैया सरकार ने अलग धर्म का दर्जा देने का फैसला किया है। सवाल लाजिमी है कि आखिर क्यों राज्य सरकार ने लिंगायत को अलग धर्म देने का फैसला किया और आने वाले विधानसभा चुनाव में लिंगायत कितनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।

क्या आप जानते हैं कि लिंगायत समुदाय क्या है और कर्नाटक के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है? हम आपको बताते हैं। दरअसल लिंगायत को कर्नाटक की अगड़ी जातियों में गिना जाता है। यहां के 18 फीसदी लोग लिंगायत समाज से आते हैं।  

बात 12वीं सदी की है जब समाज सुधारक बासवन्ना ने हिंदुओं में जाति व्यवस्था में दमन के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था। बासवन्ना मूर्ति पूजा नहीं मानते थे और वेदों में लिखी बातों को भी खारिज करते थे। लिंगायत समुदाय के लोग भी शिव की पूजा भी नहीं करते बल्कि अपने शरीर पर ही इष्टलिंग धारण करते हैं जोकि एक गेंद की आकृति के समान होती है। 

लिंगायत समुदाय और राजनीति का संबंध 
1989 में जब कांग्रेस की सरकार बनी तो राजीव गांधी ने एक विवाद की वजह से चुने हुए सीएम पाटिल को पद से हटा दिया जिसके बाद लिंगायत समुदाय ने कांग्रेस का दामन छोड़कर रामकृष्ण हेगड़े का समर्थन किया। 

हेगड़े के निधन के बाद बीजेपी के येदियुरप्पा लिंगायतों के नेता बने। लेकिन जब बीजेपी ने उन्हें सीएम पद से हटाया तो लिंगायत फिर नाराज हो गए और बीजेपी से मुंह मोड़ लिया क्योंकि येदियुरप्पा का लिंगायत समुदाय में अच्छा प्रभाव था।  

इसलिए कर्नाटक में आने वाले चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही लिंगायत समुदाय को अपनी ओर खींचने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी ने येदियुरप्पा को एक बार फिर नेता बनाया है क्योंकि उनका लिंगायत समुदाय में जनाधार बहुत मजबूत है।

बहरहाल राज्य सरकार के इस फैसले का आगामी चुनाव में सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को कितना फायदा होगा यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा। 

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