जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने बिलासपुर व रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों से पूछा है कि निर्माण कार्यों का आडिट किस तरह कराया जा रहा है। कोर्ट ने अफसरों को शपथ पत्र के साथ आडिट की पूरी जानकारी दस्तावेजों के साथ पेश करने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता विनय दुबे ने हाई कोर्ट को जानकारी दी कि बिलासपुर व रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारी निर्माण कार्यों की आडिट नहीं करा रहे हैं। इस पर कंपनी के अधिकारियों ने अपने अधिवक्ता के जरिए कोर्ट को बताया कि निर्माण कार्यों की नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा आडिट कराया जा रहा है। इस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याचिका में बिलासपुर व रायपुर में स्मार्ट सिटी लिमिटेड की ओर से कराए जा रहे कार्यों के परफारमेंस आडिट की मांग की गई है।
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि कंपनी की ओर से केवल बैंक खातों की आडिट की जानकारी दी जा रही है। जानकारी भी आधी अधूरी ही है। स्पष्ट दस्तावेज की कमी है। बिलासपुर व रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड के कामकाज को लेकर जब हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी तब स्मार्ट सिटी लिमिटेड के अधिकारियों ने केंद्र सरकार द्वारा निर्माण कार्यों के लिए फंड जारी करने की जानकारी दी थी। साथ ही यह भी कहा था कि निर्माण में विलंब होने से फंड अटकने की आशंका है। आडिट आपत्ति भी आ सकती है।
कोर्ट ने बिलासपुर व रायपुर में चल रहे निर्माण कार्य को जनहित में जल्द पूरा करने की शर्त पर अनुमति दी थी। याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने अपने जनहित याचिका में बिलासपुर एवं रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी के द्वारा नगर निगम के साथ ही निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अधिकार को हड़पा जा रहा है। निर्माण कार्य में किसी तरह की रायशुमारी नहीं की जा रही है। शहर विकास में उनकी भागीदारी भी तय नहीं की जा रही है।
जनप्रतिनिधियों से रायशुमारी भी नहीं
स्मार्ट सिटी लिमिटेड कंपनी द्वारा केंद्र सरकार द्वारा जारी फंड से विकास कार्य के संबंध में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से रायशुमारी नहीं की जा रही है। याचिका के अनुसार शहरवासियों की सुविधा के अनुसार किस काम को प्राथमिकता से करना है और कौन सा काम सबसे ज्यादा जरूरी है यह जनप्रतिनिध ही अच्छी तरह बता पाएंगे। कंपनी के अधिकारी अपनी मर्जी के अनुसार कार्य करा रहे हैं।