लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के द्वारा लिया गया एक निर्णय अब उन्हीं के गले की फांस बन गया है। बात यहां तक भी बढ़ सकती है कि शायद सीएम योगी को उस फैसले से अपने हांथ वापस खींचने पड़ सकते हैं। ऐसा होने से जहां एक वर्ग खुशी मनाएगा वहीं दूसरे वर्ग को भी योगी सरकार की तरह झटका लगना तय है। दरअसल इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने योगी आदित्यनाथ सरकार को बूचड़खाने बंद कराने के मामले को लेकर लताड़ लगाई है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट का कहना है कि उत्तर प्रदेश की सरकार लोगों को मांसाहार से नहीं रोक सकती है। इसके साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार को ये भी अल्टीमेटम दिया कि अगर राज्य में वैध बूचड़खाने नहीं हैं तो यह उसकी ही जिम्मेदारी है कि वो वैध बूचड़खाने बनवाए। उच्च न्यायालय ने यूपी सरकार को निर्देश दिया है कि 17 जुलाई तक तमाम बूचड़खानों के लाइसेंस जारी करे। वहीं अगर ऐसा होता है तो ये सीएम योगी समेत पीएम नरेंद्र मोदी के लिए भी तगड़ा झटका साबित होगा।
कोर्ट ने कहा कि नए लाइसेंस जारी होने और पुराने लाइसेंस रिन्यू होने तक सभी बूचड़खाने बंद रहेंगे। वहीं इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सभी मीट कारोबारियों को यह निर्देश भी दिया है कि वे लोग 17 जुलाई तक अपने-अपने जिले के जिलाधिकारी कार्यालय या जिला पंचायत कार्यालय के पास लाइसेंस के लिए आवेदन करें। उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार के वकील से कहा है कि वो आगामी 17 जुलाई को कोर्ट को बताए कि इस दौरान राज्य सरकार द्वारा कितने लाइसेंस जारी किए गए और कितने लाइसेंस को रिन्यू किया गया।
बूचड़खानों को बंद करने को लेकर हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने याचिका में आरोप लगाया था कि उसका लाइसेंस 31 मार्च को खत्म हो गया लेकिन नवीनीकरण का आवेदन देने पर भी सरकार ने उसके लाइसेंस को रिन्यू नहीं किया है। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में सत्ता संभालने के बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने अवैध बूचड़खानों को बंद करने का आदेश दिया था।