कोर्ट के आदेश के बावजूद राष्‍ट्र गान का अनादर, हिंसा

12_12_2016-tricolour10dec16चेन्नई (जेएनएन)। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है कि देश के सिनेमाघरों व फिल्म फेस्टिवल में हर फिल्म की स्क्रीनिंग से पहले राष्ट्र गान बजाया जाएगा और वहां मौजूद सभी लोगों को इसके सम्मान में खड़ा होना होगा। कोर्ट ने दिव्यांगों के लिए छूट देते हुए उन्हें खड़ा होने पर बाध्य नहीं किया है। इसे लागू करने के लिए 30 नवंबर को अंतिम तारीख निश्चित की गई। चेन्नई का प्रत्येक थियेटर इस आदेश का पालन कर रहा है। ऐसे में रविवार दोपहर को यहां के अशोक नगर स्थित काशी थिएटर में कुछ लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया और 11.30 बजे फिल्म के इंटरवल के दौरान मारपीट की नौबत आ गयी।

थियेटर में राष्ट्र गान का सम्मान

थियेटर में ‘चेन्नई 28-II’ की स्क्रीनिंग के पहले राष्ट्र गान बजाए जाने के दौरान इसके सम्मान में कुछ लोगों को छोड़ सभी खड़े हुए। इंटरवल के दौरान विजयकुमार ने एक फ्रीलांस फिल्म समीक्षक, विजी के शर्ट की कॉलर पकड़ ली और सवाल किया कि राष्ट्र गान बजने पर सम्मान में वह खड़ा क्यों नहीं हुआ। यह बहस अधिक बढ़ गई और विजी के साथ दो महिलाओं सबारिता व श्रीला को वहां मौजूद 20 लोगों ने पीट दिया।

…ले रहे थे सेल्फी

लॉ की स्टूडेंट श्रीला ने कहा,’हमें परेशान किया गया। उन्होंने हमें जान से मारने की धमकी दी और मार-पीट की। राष्ट्र गान के प्रति अनादर का कोई इरादा नहीं था। थियेटर में प्रत्येक फिल्म के शुरू होने से पहले राष्ट्र गान चलाना शुरू कर दिया गया है। सिविल सर्विस के उम्मीदवार विजयकुमार ने बताया, जब राष्ट्रगान चलाया जा रहा था तब वे सेल्फी ले रहे थे, जो हममें से किसी को भी अच्छा नहीं लगा।

कोर्ट की सख्ती

हालांकि केरल में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल के आयोजक ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश में छूट मांगी थी। उसका कहना था कि इस नियम से विदेशी आगंतुकों को परेशानी होगी क्योंकि इस दौरान 40 फिल्मों की स्क्रीनिंग होनी है। इस पर कोर्ट ने सख्ती बरतते हुए कहा कि हम कुछ विदेशियों के लिए अपने देश के सम्मान के साथ समझौता नहीं कर सकते।

 

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