कोरोना से जिंदगी गंवाने वाले भारतीय क्रिकेटर चेतन चौहान को साथी खिलाड़ियों ने किया याद

भारतीय क्रिकेटर, भाजपा नेता और क्रिकेट प्रशासक चेतन चौहान के निधन ने सभी को दुखी कर दिया है। सुनील गावस्कर, बिशन सिंह बेदी, मदन लाल, संदीप पाटिल सहित उनके सभी साथी व्यथित हैं। सोमवार को उनका अंतिम संस्कार हुआ। दिग्गज ओपनर सुनील गावस्कर ने कहा था कि मेरा दोस्त चला गया, अब कैसे मुस्कुराऊं। उनके साथ खेले दो पूर्व भारतीय क्रिकेटर मदन लाल और संदीप पाटिल ने सोमवार को चेतन के साथ अपनी यादों को ताजा किया और कहा कि वह बेमिसाल आदमी थे और कभी गुस्सा नहीं करते थे। अपनी बातों को बेहद ही संजीदगी के साथ सामने रखते थे।

चेतन के साथ घरेलू क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने के अलावा दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) में साथ रहने वाले और क्रिकेट विश्लेषक के तौर पर जोड़ी बनाने वाले पूर्व भारतीय क्रिकेटर मदन लाल ने दैनिक जागरण से कहा कि हमें तो चेतन जी के जाने का बहुत अफसोस है। हमारा उनके साथ काफी मिलना जुलना था। वह एक अच्छे इंसान थे, जो चले गए। मुझे गुस्सा आता था लेकिन वह हमेशा शांत और सौम्य रहते थे। वह कहते भी थे कि लाल गुस्सा मत किया करो। यह सब यादें रह जाती हैं।

ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर हम एक साथ एक कमरे में रहे। गावस्कर के साथ उनकी साझेदारियां यादगार रहीं। वह उसके बाद दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसी) के प्रबंधन में आए, वहां भी अच्छा किया। उनके अचानक जाने का बहुत अफसोस है। मेरी अक्सर उनसे बात होती थी लेकिन अब उनसे मुलाकात नहीं हो पाएगी। मुझे याद है कि जब वह और गावस्कर ओपनिंग करने उतरते थे तो कैसे बाकी क्रिकेटर इत्मिनान से ड्रेसिंग रूम में बैठे रहते थे क्योंकि उन्हें पता होता था कि इन दोनों की जोड़ी लंबे समय तक बल्लेबाजी करेगी।

चेतन चौहान और गावस्कर के बीच कैसी बांडिंग थी इसका अंदाजा सुनील द्वारा बयां किए गए दर्द से पता चलता है। मुझे लग रहा था कि चेतन जल्द ठीक हो जाएंगे। वह बीच में ठीक भी हुए भी, मेरी उनसे बात हुई थी। हाल में जब वह मेदांता में भर्ती हुए तो मुझे नहीं पता चला कि उनकी इतनी ज्यादा तबियत खराब हो जाएगी कि उन्हें देख ही नहीं पाऊंगा। गावस्कर ने अपने दोस्त के लिए एक पत्र भी लिखा था।

मेरे बड़े भाई की तरह थे चौहान : पाटिल

पूर्व भारतीय क्रिकेटर संदीप पाटिल ने कहा कि चेतन हमारे लिए बेहद प्यारे थे। वह मेरे बड़े भाई की तरह थे और पिता भी थे। वह हमेशा ही बेहद शालीनता से अपनी बात कहते थे। 1980-81 ऑस्ट्रेलियन दौरे पर वह पहली बार टीम इंडिया के साथ थे। बिला हेलमेट ओपनिंग करते हुए चौहान ने लेन पास्को जैसे गेंदबाज को सिडनी टेस्ट में खेला और 65 रनों की अहम पारी भी खेली। एडिलेड टेस्ट मेरे और उनके बीच 108 रन की अहम हुई।

चौहान उस साझेदारी में बेहद ही सहायक रहे। जब भी कंगारू गेंदबाज बाउंसर डालते तो वह मेरे पास आकर बोलते कुछ नहीं होगा, खेलते रहो। सच तो यह था कि चौहान ने तब डेनिस लिली, लेन और रोडनी हॉग को मराठी भाषा में ऐसी बातें बोलीं जो कंगारुओं को समझ ही नहीं आई। वह मराठी बहुत अच्छी बोल लेते थे, क्योंकि वह पहले महाराष्ट्र के लिए खेलते थे। पाटिल ने कहा कि आधुनिक क्रिकेट में जो आज बल्लेबाज अपर कट मार रहे हैं वह उन्हीं की ही देन है।

 

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