देशभर में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने फाइनल ईयर के एग्जाम आयोजित करने का निर्णय लिया था.
अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. UGC के इस फैसले को शिवसेना की यूथ विंग युवा सेना ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
युवा सेना ने कहा कि कोविड का खतरा रोजाना बढ़ता जा रहा है इसलिए ऐसा रिस्क नहीं लिया जा सकता है. भारत के छात्रों के समर्थन में शिवसेना नेता, महाराष्ट्र सरकार में कैबिनेट मंत्री और युवा सेना अध्यक्ष आदित्य ठाकरे ने यूजीसी के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
UGC के एग्जाम कराने के फैसले का महाराष्ट्र सरकार शुरू से ही विरोध कर रही है. इससे पहले उद्धव ठाकरे ने फाइनल ईयर के एग्जाम को रद्द करने की बात कही थी. तब भी UGC नहीं माना था. इसे लेकर महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी और राज्य सरकार के बीच भी तनाव बरकरार है.
युवा सेना ने अपनी याचिका में देश भर में 10 लाख कोरोना मरीजों का आंकड़ा पार होने का हवाला देते हुए कहा है कि इस वक्त परीक्षा के मुकाबले लोगों का स्वास्थ्य ज्यादा जरूरी है. ऐसे में परीक्षा आयोजित करने के फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए.
इससे पहले कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया था कि राज्य में कॉलेजों के फाइनल ईयर एग्जाम नहीं होंगे.
ये फैसला मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे डिप्टी सीएम अजित पवार की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था.
गौरतलब है कि UGC ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए कहा था कि इंटरमीडिएट सेमेस्टर के छात्रों का मूल्यांकन आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर किया जाएगा.
वहीं टर्मिनल सेमेस्टर के छात्रों का मूल्यांकन जो जुलाई के महीने में परीक्षाओं के माध्यम से किया जाना था, अब उनकी परीक्षाएं सितंबर-2020 के अंत तक आयोजित की जाएंगी.