कोरोना संकट : सात महीने से सिनेमाघरों के बंद रहने के कारण बॉक्स ऑफिस को करीब 8 हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा

एक समय ऐसा था जब हम बेफिक्र होकर सिनेमाघरों में फिल्म देखने के लिए जाते थे. हर हफ्ते नई फिल्म रिलीज होती, तो बस बुकमाय शो से टिकट बुक की और पहुंच गए दिल्ली के कनॉट प्लेस में फिल्म देखने के लिए. ये सिलसिला कई सालों से हर हफ्ते चला आ रहा था. फिर इस साल मार्च में दी कोरोना वायरस ने दस्तक. कोरोना वायरस ने नॉर्मल लाइफ को जंजीरों में जकड़कर रख दिया. ना कोई घर से बाहर जा सका और ना सिनेमाघरों में जाकर मनोरंजन हो सका.

कोरोना वायरस के कारण मार्च के आखिर में सभी सिनेमाघरों को बंद करने का ऐलान कर दिया गया. ऐसे में एक तरफ लोग मनोरंजन के लिए तरस गए, तो वहीं दूसरी ओर सबसे बड़ी समस्या जो सामने आई, वो थी नौकरी और कमाई. सिनेमाघर बंद हुए तो लोगों का रोजगार छिन गया. घर में पैसों की किल्लत ने सिनेमाघर के कर्मचारियों को इस मोड़ पर ला खड़ा किया कि वह खुदकुशी जैसा कदम तक उठाने लगे.

जब सिनेमाघर बंद थे और बिना दर्शकों के कोई कमाई नहीं थी, तो सिनेमाघर मालिक भी कब तक अपनी जेब से कर्मचारियों का भरण पोषण करते. ऐसे में सिनेमाघर मालिकों को अपने यहां कटौती करने पर मजबूर होना पड़ा. एक महीना बीता, दूसरा महीना बीता, फिर तीसरा और ऐसे करते-करते सात महीने बीत गए, जब सिनेमाघरों में एक फिल्म रिलीज नहीं हुई और एक परिंदे ने भी उधर पर नहीं मारा.

सात महीने के बाद सिनेमाघर खुले. केंद्र सरकार ने 15 अक्टूबर से देशभर के सिनेमाघरों को खोलने की इजाजत दी. पर अंतिम फैसला राज्य सरकारों पर छोड़ा. ऐसे में कुछ जगहों पर तो तुरंत सिनेमाघर खोल दिए गए, लेकिन कई राज्यों ने 31 अक्टूबर तक सिनेमाघर के खुलने पर पाबंदी जारी रखी.

दरअसल, सिनेमाघरों को खोलने की इजाजत देने के साथ ही सरकार ने इसके लिए गाइडलाइंस जारी कर डालीं. सिनेमाघरों में केवल 50 प्रतिशत लोगों के बैठने की इजाजत दी गई. ऐसे में यह फिल्म निर्माताओं के लिए सीधे तौर पर आधा नुकसान झेलने जैसा था. वहीं, सिनेमाघर मालिकों के सामने कम दर्शकों की समस्या तो थी ही, लेकिन साथ ही सबसे बड़ी समस्या तो यह थी कि जब कोई बड़ी फिल्म सिनेमाघर में रिलीज ही नहीं होगी, तो ऐसे में दर्शक कैसे थिएटर्स की ओर बढ़ेंगे.

पहले तो सात महीने तक कोई कमाई नहीं हुई और फिर कम दर्शकों के चलते कोई नई फिल्म रिलीज ना होने की वजह से भी सिनेमाघर मालिकों को नुकसान झेलना पड़ा. ऐसा पिछले 50 सालों में शायद पहली बार ही हुआ है, जब इतने लंबे समय के लिए सिनेमाघरों पर ताला लग गया था. बिजनेस पूरी तरह से ठप्प हो गया. कर्मचारियों के साथ-साथ कई सिनेमाघर मालिकों का दिवाला निकल गया. इतनी बुरी हालत हुई कि शायद ऐसा कभी किसी ने अपनी जिंदगी में नहीं सोचा था.

देशभर के सिनेमाघरों को हर साल हजारों करोड़ रुपये का फायदा होता था. पर सात महीने तक सिनेमाघरों के बंद रहने के कारण बॉक्स ऑफिस को करीब 8 हजार करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा है. ऑनलाइन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, देश में सिनेमा बंद होने से बड़ा नुकसान भारत के थिएटर्स की एक बड़ी सीरीज पीवीआर को भी पहुंचा है. पीवीआर ग्रुप के पास भारत के 22 राज्यों में कुल 850 स्क्रीन्स हैं. इनमें दिल्ली में अकेले ही 68 स्क्रीन्स पीवीआर की हैं.

पीवीआर चेन को ऑपरेट करने के लिए मासिक करीब 15 करोड़ रुपये का खर्च आता है. ऐसे में पिछले सात महीनों में पीवीआर को काफी भारी नुकसान झेलना पड़ा है. ऐसा ही कुछ अन्य सिंगल स्क्रीन और मल्टिप्लेक्सेस का भी रहा. सात महीने तक तो इन सिनेमाघरों ने बंद का असर झेला ही और फिर इसके बाद कोई बड़े बजट की फिल्म रिलीज न होने के चलते भी नुकसान झेला.

सिनेमाघर 15 अक्टूबर को खुले थे और इसके ठीक एक महीने बाद यानि 15 नवंबर को थिएटर पर नई हिंदी फिल्म रिलीज हुई, जो थी मनोज बाजपेयी की ‘सूरज पे मंगल भारी’. यह फिल्म दर्शकों को तो कुछ खास पसंद नहीं आई, लेकिन ऑडियंस को सिनेमाघरों में देखकर फिल्म इंडस्ट्री में एक आस जरूर जागी. इसके बाद कियारा आडवाणी की ‘इंदू की जवानी’ भी रिलीज हुई, पर यह भी दर्शकों पर अपना जादू चलाने में नाकाम रही. इन दोनों फिल्मों की बॉक्स ऑफिस कमाई देखकर कई निर्माता हाल फिलहाल में अपनी नई फिल्म थिएटर में रिलीज करने से डर गए.

जितने अच्छे रिस्पॉन्स की उम्मीद वह थिएटर में पहुंचने वाले दर्शकों से कर रहे थे, वह सारी धरी की धरी रह गई. फिल्म निर्माताओं ने दर्शकों का रिस्पॉन्स देखकर डिजिटल का रुख किया, तो थिएटर्स वाले परेशान हो गए. सिनेमाघर मालिकों को लगता है कि जो फिल्में दर्शक थिएटर्स में देखना पसंद करते थे, उन्हें अब वह घर बैठे ही देखने को मिल रही हैं. ऐसे में दर्शक सिनेमाघर आना ही बंद कर देंगे. कमाई न होने के कारण सिनेमाघर मालिकों का डर वाजिब है, लेकिन ऐसा कभी नहीं हो सकता कि दर्शक फिल्में देखने के लिए थिएटर्स का रुख न करें. जब स्थिति सामान्य होंगी, तो चीजें पहले की तरह ही हो जाएंगी.

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