जेनरिक दवाओं के बढ़ते दाम से आम लोगों की मुसीबत भी बढ़ती जा रही है। जहां कई दवाएं 10 से 15 फीसद तक महंगी हो चुकी हैं, वहीं कुछ के दाम बढ़ाने की बातें सामने आ रही है।

दर बढ़ी हुई दवाओं में अधिकांश एंटीबायोटिक्स और पेन किलर शामिल हैं। छत्तीसगढ़ थोक दवा बाजार के अनुसार चीन में फैले कोरोना वायरस की वजह से भारत में जेनरिक दवाओं के लिए कच्चे माल की कमी हो रही है।
नतीजतन जेनरिक दवा निर्माता कंपनियां दवाइयों के दाम बढ़ा रही हैं। वहीं कई दवाओं का टोटा भी होने लगा है। इसका असर सरकारी अस्पतालों और ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है, जहां कई जेनरिक दवाएं मरीजों को नहीं मिल पा रही हैं।
दवा कारोबारियों ने बताया कि प्रदेश में हर महीने लगभग 100 करोड़ तक ब्रांडेड दवाओं का कारोबार है। वहीं लगभग 25 से 30 करोड़ तक हर महीने जेनरिक दवाओं का व्यापार होता है।
इसकी सप्लाई अधिकांश अस्पतालों और ग्रामीण क्षेत्रों के मेडिकल स्टोर्स में की जाती है। बढ़ती कीमत और अनुपलब्धता की वजह से खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग की भी तैयारियां नजर नहीं आ रही।
दवा निर्माता कंपनियां लगभग एक महीने का ही स्टॉक अपने पास रखती हैं। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से लंबे समय से आयात प्रभावित हो रहा है। इसके चलते कंपनियों के सामने कच्चे माल का संकट आ गया है। कंपनियां भी स्थिति को देखते हुए दवाओं की कीमतों में इजाफा कर रही है।
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