क्या एक बार कोरोना वायरस से बीमार होने वाले लोगों को दोबारा कोरोना बीमारी नहीं होती? अगर कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित होकर इम्यून हो जाए तो वह कब तक कोरोना से सुरक्षित रहता है? ये दोनों ही सवाल काफी वक्त से पूछे जा रहे हैं, लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट अब तक कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए हैं. अब एक बड़ी स्टडी में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है.
स्पेन में की गई स्टडी से पता चला है कि कोरोना मरीजों के शरीर में बनी एंटीबॉडीज कुछ हफ्ते में गायब हो सकती हैं. खासकर उन लोगों में जिनमें कोरोना संक्रमण की वजह से सिर्फ मामूली लक्षण ही देखने को मिले थे.
यानी जो लोग कोरोना से संक्रमित हुए, लेकिन हल्के तौर से ही बीमार पड़े, उनमें इम्युनिटी डेवलप होती है और कुछ हफ्ते में गायब हो जाती है. ऐसे में खतरा इस बात का बना रहेगा कि ये लोग फिर से कोरोना संक्रमित न हो जाएं.
thetimes.co.uk की रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेन में करीब 70 हजार से अधिक लोगों पर स्टडी की गई थी. स्टडी के दौरान 14 फीसदी ऐसे लोग मिले जो पहले कोरोना एंटीबॉडीज की जांच में पॉजिटिव पाए गए थे, लेकिन दो महीने बाद जब जांच की गई तो उनमें एंटीबॉडीज नहीं मिले. खासकर हल्के लक्षण वाले लोगों में ऐसा देखा गया.
Lancet जर्नल में ये स्टडी प्रकाशित की गई. स्टडी का नेतृत्व करने वाले डॉक्टरों में शामिल, स्पेन के कार्लोस-3 हेल्थ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर रकील योती ने कहा- ‘इम्युनिटी अधूरी हो सकती है. इम्युनिटी अस्थाई भी हो सकती है. यह कम समय के लिए हो सकती है और गायब भी हो सकती है. हम सबको खुद को सुरक्षित रखना चाहिए और अन्य लोगों की भी रक्षा करनी चाहिए.’
रिसर्चर्स ने यह भी कहा है कि पहले भी ऐसे सबूत मिले हैं कि बिना लक्षण वाले कोरोना मरीजों में पर्याप्त एंटीबॉडीज शायद नहीं बन पाती है. इंग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ रिडिंग में वायरोलॉजी के प्रोफेसर इआन जोन्स ने कहा कि जो लोग एंटीबॉडीज टेस्ट में पॉजिटिव पाए जाते हैं, उन्हें ये नहीं मानना चाहिए कि वे अब सुरक्षित हो गए हैं. हो सकता है वे सुरक्षित हों, लेकिन ये अभी तक स्पष्ट नहीं है.
वहीं, इस स्टडी में ये भी सामने आया है कि कोरोना से बुरी तरह प्रभावित स्पेन के 5.2 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी डेवलप हुआ है. लेकिन इस आंकड़े के आधार पर यह भी कहा जा रहा है कि नेचुरल तरीके से कोरोना के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी हासिल करना संभव नहीं होगा.
वहीं, जिनेवा के सेंटर फॉर इमरजिंग वायरल डिजीज की प्रमुख इजाबेल एकरले और जिनेवा यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट बेंजामिन मेयर ने स्टडी के नतीजों पर कहा- ‘नतीजों से पता चलता है कि प्राकृतिक रूप से हर्ड इम्युनिटी हासिल करना न सिर्फ काफी अधिक अनैतिक होगा बल्कि असंभव होगा.’