दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान कोरोना पर चर्चा के दौरान बोलते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि फरवरी और मार्च में देश में कोरोना शुरू हुआ था, किसी राज्य में एक केस था किसी राज्य में दो केस था. कोरोना अपने देश में तो हुआ नहीं, यह बाहर से ही बाहर आया है. उस वक्त जिन-जिन देशों में कोरोना बहुत ज्यादा हो गया था, जैसे इटली और लंदन जैसे देशों में कोरोना बहुत ज्यादा हो गया था. वहां रहने वाले भारतीयों ने भारत सरकार से कहा कि हम अपने देश में आना चाहते हैं. भारत सरकार ने निर्णय लिया कि स्पेशल फ्लाइट की व्यवस्था करके हम उन देशों में जहां कोरोना ज्यादा है ओर जो भारतीय आना चाहते हैं, उनको वापस लाया जाए.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अच्छी बात है. दिल्ली देश की राजधानी है, तो वह जितनी भी फ्लाइट बाहर से आईं, उसकी 80 से 90 प्रतिशत फ्लाइट दिल्ली में उतरी है और उन दिनों में कोरोना नया नया था, किसी को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी. तब तक कोई प्रोटोकाॅल नहीं था, कोई आईसीएमआर की गाइडलाइन नहीं थी, कोई क्वारंटाइन और आइसोलेशन नहीं था. 22 मार्च का एक लेटर है, जो हमारे हेल्थ सेक्रेटरी ने सभी को भेजा है. उसमें उन्होंने लिखा है कि पिछले एक महीने में 32000 यात्री बाहर आए हैं और वो 32 हजार यात्री बाहर से आकर दिल्ली के कोने-कोने में फैल गए हैं. उनको चिंहित कराओ. तब तक 18 मार्च के आसपास केंद्र सरकार से गाइडलाइन आई थी कि जो लोग बाहर आ रहे हैं, उनको क्वारंटाइन किया जाए. इन 32 हजार लोगों को चिंहित करना लगभग नामुमकिन सी बात थी. यह 32 हजार लोग उन देशों से आए थे, जहां बहुत ज्यादा कोरोना है. इससे हम अंदाजा लगा सकते हैं कि इनमें से कितने सारे लोग पहले से ही कोरोना से संक्रमित होंगे. दिल्ली ने जीरो से शुरू नहीं किया. दिल्ली में 5 हजार, 6 हजार केस से शुरू किया. इसके बाद लाॅकडाउन हो गया. कोरोना उस समय नया-नया था. मुझे याद है कि उस दौरान कोई किट, कोई पीपीई किट, कोई टेस्टिंग किट नहंी थी. कोई टेस्ट होता नहीं था. बाहर से आए यह लोग चारों तरफ फैल गए और उन लोगों ने कितने लोगों में कोरोना फैलाया होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. दिल्ली ने धीरे-धीरे कोरोना पर काफी हद तक काबू पाया. मैं यह नहीं कह रहा कि कोरोना 100 प्रतिशत नियंत्रण में है.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में कोरोना को नियंत्रित करने की वजह सिर्फ एकमात्र है टीम वर्क. हमने जल्द ही महसूस कर लिया कि इतनी बड़ी महामारी है कि यह अकेले की वश की बात नहीं है. अगर दिल्ली सरकार इस अहंकार में होती कि हम करेंगे और हम अकेले करेंगे, तो कोरोना कंट्रोल होने वाला नहीं था. हमने सबकी मदद ली. हमने केंद्र सरकार की मदद ली और आज इस सदन के माध्यम से केंद्र सरकार का शुक्रिया यदा करना चाहता हूं कि शुरू में हमारे पास पीपीई किट नहीं थे, उन्होंने हमें दिए. हमें आँक्सीजन सिलेंडर दिए. जब जब हमने उनसे मदद मांगी, उन्होंने हमारी मदद की. समाज ने भी बहुत मदद की है, अकेले कोई सरकार नहीं कर सकती है. हमने कह दिया कि दिल्ली सरकार ने कर दिया, तो झूठ बोल रही है दिल्ली सरकार. केंद्र सरकार ने कहा दिया कि हमने किया, तो झूठ बोल रही है केंद्र सरकार. दिल्ली के दो करोड़ लोगों ने मिल कर जिस तरह से पूरी महामारी के दौरान मदद की है. समाज सेवी संस्थाएं, डाॅक्टरों की संस्थाएं, सभी ने मदद की है. स्टेप वन करके एक एनजीओ है, उन्होंने हम लोगों से पैसे नहीं लिए. अक्षरधाम, राधा स्वामी सत्संग, जैन धर्मशाला समेत सभी लोगों ने मदद की, तब जाकर यह नतीजा आया.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारी एक ही कमजोरी है, हमको राजनीति करने नहीं आती है और यह कमजोरी इस वक्त सबसे बड़ी ताकत बन गई है। कोई कहता था कि केजरीवाल झूठ बोल रहा है। इसने दिल्ली को ठीक कर दिया. हम कहते थे कि हां इसने ठीक कर दिया. मैने सबसे कहा कि सारा क्रेडिट सबका और सारी जिम्मेदारी मेरी. दिल्ली के लोगों ने मुझे चुन कर भेजा है और अगर दिल्ली में कहीं पर भी किसी भी तरह की कोई दिक्कत आती है, तो उसकी जिम्मेदारी मेरी है.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज दिल्ली मॉडल चर्चा पूरे देश और पूरी दुनिया में हो रही है. यह केजरीवाल की वजह से नहीं है. यह दिल्ली माॅडल हमारी वजह से नहीं है. यह दिल्ली के दो करोड़ लोगों की मेहनत का नतीजा है. आज दिल्ली के लोगों की सबसे बड़ी ताकत है कि आज दिल्ली के लोगों के पास एक अच्छी नीयत की सरकार है. आज दिल्ली के लोगों के पास एक इमानदार और मेहनती सरकार है. आज दिल्ली के लोगों के पास एक पढ़ी-लिखी सरकार है. दिल्ली के लोगों की यह सबसे बड़ी ताकत है. पिछले 5-6 महीनों में दिल्ली के लोगों ने इस कोरोना प्रबंधन में कई चीजों में देश को ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को राह दिखाई है. आज मुझे सदन को करते हुए बड़ी खुशी हो रही है कि इस पृथ्वी के ऊपर सारे देशों को मिलाकर सबसे ज्यादा टेस्ट दिल्ली के अंदर हो रहे हैं. आज दिल्ली में 60 हजार टेस्ट प्रति दिन हो रहे हैं. दिल्ली की दो करोड़ जनसंख्या है. आज 10 लाख लोगों पर 3 हजार टेस्ट प्रतिदिन हो रहे हैं. जांच के मामले में सबसे आगे दिल्ली है. इसके बाद देश में दूसरा आंध्र प्रदेश है, जहां पर 1362, इसके बाद दूसरा गुजरात है, जहां 1000 टेस्ट हो रहे. दिल्ली से एक तिहाई है. फिर कर्नाटका 983, हरियाणा 990, महाराष्ट्र 802 और उत्तर प्रदेश 670 और पूरे देश का औसत 819 है.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में 3 हजार टेस्ट प्रति मिलियन हो रहे हैं, तो इंग्लैंड में भी 3000 हो रहे हैं. टेस्ट के मामले में इंग्लैंड दिल्ली के साथ है. अमेरिका में 1300 टेस्ट प्रति मिलियन, रसिया में 2311 टेस्ट प्रति मिलियन, पेरू में 858 टेस्ट प्रति मिलियन हो रहे हैं। इस तरह पूरी पृथ्वी के अंदर सबसे ज्यादा आपकी दिल्ली के अंदर हो रहे हैं. अब तक हम 21 लाख लोगों की जांच कर चुके हैं. दिल्ली की आबादी का 11 प्रतिशत टेस्ट कर चुके हैं. पूरी दुनिया के अंदर ऐसा कोई देश नहीं है, कोई शहर नहीं है, जिसने अपनी पूरी जनसंख्या का 10 प्रतिशत टेस्ट कर लिया है.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं यह नहीं कहता कि दिल्ली में कोरोना के सारे प्रबंधन 100 प्रतिशत सही हो रहे हैं. हमारी तमाम गलतियां हो सकती हैं. उन गलतियों को हम सबको मिल कर ठीक करना है. आपको भी लोगों ने चुन करके भेजा है. अगर दिल्ली के अंदर कोई हमारी कमी नजर आए, तो आप हमें फोन कर दीजिए, हम उसको ठीक करेंगे.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह टेस्ट अधिक करना क्यों जरूरी है? यह टेस्ट अधिक टेस्ट करना इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि सिरो सर्वे में सामने आया कि 60 लाख लोग कोरोना से संक्रमित होकर ठीक हो चुके हैं. इसका मतलब जितना भी टेस्ट कर लें, कम ही पड़ेंगे. हमारा वश चले तो एक ही दो करोड़ लोगों की जांच करा कर उन्हें आइसोलेट कर दें और कोरोना खत्म हो जाएगा. लेकिन इतनी क्षमता नहीं है. हम जितने टेस्ट बढ़ाएंगे, उतना ही नंबर ज्यादा आएंगे, लेकिन हमें उस नंबर से नहीं घबराना है, हमें मौत से घबराना है. अगर मौत ज्यादा हो रही है, तब घबराने की जरूरत है. हम लोगों ने बड़ी मेहनत करके 1-1 अस्पताल का माइक्रो ऑडिट करवाया है और आज दिल्ली के अंदर मौत दर 0.68 प्रतिशत है, जो मुझे लगता है कि पूरी दुनिया में सबसे कम मौत दर है. पहली बात, आज पूरी दुनिया में दिल्ली में सबसे अधिक टेस्ट हो रहा है. दूसरा, पूरी दुनिया में होम आइसोलेशन का विचार दिल्ली के अंदर आया. किसी को नहीं पता था कि कोरोना का प्रबंधन कैसे करना है, कोरोना कैसे व्यवहार करता है. हमने इंटरनेट पर खूब स्टडी किया करते थे. यूरोप, इटली, स्पेन में सुनते थे कि सभी अस्पताल भर गए. गंभीर मरीज सड़कों पर पड़े हैं. हमने सोचा, जब वहां ऐसा हाल है, तो हमारे देश में फैलेगा तो क्या हाल होगा.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जब हमने स्टडी किया तो पता चला कि जो पॉजिटिव आए, उसको अस्पताल में भर्ती करा देते हैं, यह तो महामारी है, लोग तो बहुत तेजी से संक्रमित होते जा रहे हैं, इतनी तो बेड किसी भी देश में नहीं हैं, चाहे वह कितना भी विकसित देश होगा. तब हम लोगों ने सोचा कि हम इसको दो भागों में बांटना पड़ेगा, जो लोग एसिंप्टोमेटिक और जिनमें कोई लक्षण नहीं है, उनको अस्पताल की क्या जरूरत है? तो हमने तय किया कि एसिंप्टोमेटिक और माइल्ड सिम्टोमैटिक वालों को इंतजाम घर में होना चाहिए. उनका इंतजाम घर में करने से दो फायदे हुए. पहला फायदा यह हुआ कि पहले लोग टेस्ट कराने में हिचकते थे, उनको डर था कि पाॅजिटिव आ गए, तो सरकार उनको उठा कर क्वारंटीन सेंटर में डाल देगी. इसलिए लोग टेट टेस्ट नहीं करवाते थे. अस्पताल में लोग इतना अच्छा इंतजाम नहीं करेंगे, जितना अच्छा घर के लोग इंतजाम कर लेंगे. डाॅक्टर रोज फोन करता है, उनसे पूछता है कि आप ठीक-ठाक हो, टेंपरेचर कितना है और उनको आँक्सीमीटर दिया गया.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अभी तक 1,15,254 लोगों का हम लोग घर पर इलाज कर चुके हैं, इनमें से 16568 लोग अभी भी होम आइसोलेशन में है और 96288 लोग ठीक हो चुके हैं. 115254 में से मात्र 30 लोगों की मौत हुई है. सवा लाख लोगों में से मात्र 30 लोगों की होम आइसोलेशन में मौत हुई है, जो 0.03 प्रतिशत है. शायद पूरी दुनिया के अंदर इतनी कम मौत दर कहीं नहीं होगी. अब इस होम आइसोलेशन प्रोग्राम की पूरी दुनिया के अंदर चर्चा हो रही है. कोरिया के अंबेसडर ने कहा कि दिल्ली का होम आइसोलेशन पूरी दुनिया के लिए स्टडी करने के लिए है. हमने कोरोना वारियर्स को एक विश्वास दिया. हमने कहा कि सारी सरकार आपके साथ खड़ी है, सारा देश आपके साथ खड़ा है. आप मेहनत कर रहे हो, हम आपकी मेहनत को सलाम करते हैं, आप लोग अपने जीवन को संकट में डाल रहे हो, हम उसको सलाम करते हैं, अगर भगवान न करें कल को आप को कुछ हो गया, तो आपको एक करोड़ रुपये की सहायता राशि सरकार देगी. जब हमने यह घोषणा की, तब डॉक्टर और नर्सों में विश्वास बना कि सरकार हमारे साथ खड़ी है, उनको लगा कि भगवान न करे कि कुछ हो जाए, तो सरकार हमारे साथ खड़ी है. मुझे नहीं लगता कि पूरी दुनिया के अंदर किसी भी देश में या किसी भी राज्य ने ऐसा किया होगा.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि अप्रैल और मई महीने में हमने प्लाज्मा थेरेपी के ट्रायल चालू किए थे. हमने पढ़ा था कि इससे पहले सिर्फ चीन के अंदर प्लाज्मा थेरेपी का ट्रायल किया गया था. तब हम लोगों ने इसकी चर्चा की और हमने केंद्र सरकार से अनुमति मंागी. हमें फेस-एक, फेस-दो और फेस-तीन की अनुमति मिली. हमने अप्रैल व मई में ट्रायल किए. हमें बहुत खुशी है कि 2 जुलाई 2020 को दुनिया का पहला प्लाज्मा बैंक आईएलबीएस अस्पताल में शुरू किया गया. इसके बाद दूसरा प्लाज्मा बैंक एलएनजेपी में शुरू किया गया. हमें बेहद खुशी है कि हमने जो काम अप्रैल, मई जून, जुलाई में शुरू की थी, 19 अगस्त को अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐलान किया कि अमेरिका भी प्लाज्मा लागू करेगा. अभी तक दिल्ली में 1965 लोगों की जान प्लाजमा थेरेपी देकर बचाई जा चुकी है.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मुझे खुशी है कि पूरे देश के लोगों का मुझे सेवा करने का मौका मिला है. आज पूरे देश के लोगों को भरोसा है तो दिल्ली के अस्पतालों पर भरोसा है. पूरे देश भर से सरकारी अस्पतालों में भी और प्राइवेट अस्पतालों में भी लोग आ रहे हैं. राजस्थान से लोग आ रहे हैं, मध्य प्रदेश से लोग आ रहे हैं, उत्तर प्रदेश से लोग आ रहे हैं, झारखंड से लोग आ रहे हैं, बिहार से लोग आ रहे हैं, पंजाब से लोग आ रहे हैं. 26 जुलाई के बाद का डाटा हमारे पास है. अभी तक 5264 दिल्ली के बाहर के मरीजों का इलाज कर चुके हैं, दिल्ली को इस बात का फक्र है कि हम लोग अपने पूरे देशवासियों का इस समय सेवा कर रहे हैं. मैं यह भी उम्मीद करता हूं कि यह कोरोना महामारी हम लोगों को सीख देगी. आज दिल्ली में कोरोना ने इतनी जल्दी टर्नअराउंड किया, क्योंकि हमने दिल्ली के अंदर पांच साल में स्वास्थ्य क्षेत्र में इतना निवेश किया था. कोरोना की महामारी एक विशेष प्रकार का इलाज मांगती है. जैसे, एलएनजेपी अस्पताल में हार्ट और न्यूरो आदि का इलाज होता है. अलग-अलग विभाग हैं, लेकिन कोरोना में केवल आँक्सीजन चाहिए। सभी विभागों को खत्म करके सभी बेड को आँक्सीजन बेड में बदलना पड़ा. सारे आईसीयू को खत्म करके केवल कोराना के लिए बदलना पड़ा. यह बदलना इसलिए संभव हो सका, क्योंकि हमारे पास बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद था. आज मैं उम्मीद करता हूं कि कोरोना महामारी से सीख लेकर जैसे दिल्ली ने 5 साल में हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में इतना निवेश किया है, वाकी देश की राज्य सरकारें भी अपने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करेंगी, ताकि उनके लोगों को अपना इलाज कराने के लिए दिल्ली इतनी दूर आने की जरूरत न पडे़.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह बहुत बड़ी महामारी है. इससे अकेले कोई सरकार नहीं लड़ सकती है. इसके लिए पूरे समाज को साथ आना पड़ेग. आम आदमी पार्टी केवल चुनाव लड़ने के लिए नहीं बनी थी, आम आदमी पार्टी केवल सत्ता के लिए नहीं बनी, आम आदमी पार्टी देश के लिए बनी थी, आम आदमी पार्टी के एक एक कार्यकर्ता की एक-एक सांस पूरे देश के लिए है, आम आदमी पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता की सांस देश के लिए समर्पित है. मैंने सभी कार्यकर्ताओं को कहा है कि इस समय डरो मत, अपने अपने घरों से बाहर निकलो. यह समय एक-दूसरे पर आरोपों लगाने का नहीं है. केंद्र सरकार रही है, सभी राज्य सरकारें काम कर रही हैं, किसी की आलोचना नहीं करना है. आँक्सीमीटर ले लो और हर घर जाकर जांच करो. आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता आॅक्सीमीटर लेकर घर घर जा रहे हैं. यदि किसी का आँक्सीजन कम है, तो उसको अस्पताल लेकर उसको आॅक्सीजन दिलाने में मदद कर रहे हैं. जिस स्तर पर आँक्सीमीटर का अभियान चल रहा है, आम आदमी पार्टी का नाम गिनिज बुक आँफ रिकाॅर्ड में आना चाहिए. इतने बड़े स्तर पर इस पृथ्वी पर आँक्सीमीटर का कैंपेन किसी ने नहीं किया होगा. यह समय बड़ा कठिन समय है. मानव जाति के इतिहास में इतनी बड़ी महामारी कभी नहीं आई, बस एक ही चीज हमें ध्यान रखनी है कि इस वक्त सारी राजनीति एक तरफ करके सबको मिलकर संगठित होकर के इंसानियत के लिए काम करना है. अपना सारा अहंकार भूल कर सबको मिलकर काम करना है.