महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना की गठबंधन सरकार में शुरुआत से ही हलचल मची हुई है. विचारधाराओं से परे हटकर एक साथ आने वाली पार्टियां कई मुद्दों पर एक दूसरे के सामने आ चुकी हैं.
अब एक बार फिर कांग्रेस और एनसीपी में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मसले पर दो नेता आमने-सामने आ गए हैं. एनसीपी नेता जितेंद्र अव्हाड ने इंदिरा गांधी के द्वारा लगाई गई इमरजेंसी को लोकतंत्र का गला घोंटना बताया था, तो अब कांग्रेस के अशोक चव्हाण ने उन्हें करारा जवाब देने की बात कही है.
कांग्रेस पार्टी से ही अलग होकर बनी राष्ट्रवादी पार्टी अब देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के मुद्दे पर आमने-सामने है. एनसीपी नेता और राज्य सरकार में मंत्री जितेंद्र अव्हाड ने संविधान बचाओ के नारे के साथ बुलाई गई एक रैली में कहा कि इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम किया, जिसके बाद जेपी को आंदोलन करना पड़ा था.
इतना ही नहीं एनसीपी नेता ने मौजूदा हालातों का हवाला देते हुए कहा था कि जब इंदिरा गांधी ने देशपर आपातकाल थोपने की कोशिश की तो छात्रों ने आंदोलन किया.
छात्रों के आंदोलन के बाद जेपी का आंदोलन शुरू हुआ, जिसने इंदिरा गांधी की सरकार को गिरा दिया. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने के चक्कर में एनसीपी नेता सत्ता में अपने ही साथ खड़ी पार्टी को खफा कर बैठे. हालांकि, विवाद के बाद उन्होंने सफाई में कहा कि उनके बयान को तोड़मरोड़ कर पेश किया गया.
एनसीपी नेता के द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी पर इस तरह सवाल उठाना कांग्रेस को बिल्कुल भी नहीं भाया और तुरंत पार्टी की ओर से रिएक्शन सामने आया. महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने ट्विटर पर जितेंद्र अव्हाड को जवाब दिया.
उन्होंने लिखा, ‘इंदिरा गांधी का जीवन देश की एकता और अखडंता के लिए बीता है, पूरी दुनिया इंदिरा जी का सम्मान करती है. जितेंद्र अव्हाड ने भले ही सही समय पर खुलासा कर दिया हो, लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि अगर कोई हमारे नेता का अपमान करेगा तो करारा जवाब मिलेगा’.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र की इस सरकार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि साथी दल आमने-सामने आए हो. इससे पहले शिवसेना और कांग्रेस के बीच विनायक दामोदर सावरकर को लेकर विवाद हो चुका है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक सभा में कहा था कि वो राहुल गांधी हैं, राहुल सावरकर नहीं. जिसके जवाब में संजय राउत ने उनपर हमला बोला था और सावरकर का अपमान ना करने की सलाह दी थी. इसके अलावा संजय राउत के द्वारा ही एक बयान में इंदिरा गांधी और अंडरवर्ल्ड डॉन करीम लाला की मुलाकात के दावे पर भी विवाद हुआ था.