खानपान में बदलाव और अनियमित दिनचर्या के कारण हमारी त्वचा फैटी हो जाती है। मोटापा बढ़ने पर इसे कम करने के लिए अक्सर लोग कई तरह की शारीरिक गतिविधियां करने हैं। लेकिन फिर भी कई बार उनके शरीर में इसका असर देखने को नहीं मिलता है। फैटी सेल यानी वसा कोशिकाएं कैसे काम करती हैं और हमारे शरीर में मोटापा बढ़ाने में इनकी क्या भूमिका है।
साइटोकिंस रखते हैं वसा कोशिकाओं पर नजर
वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पाया कि दो प्रोटीन, पीपर-2, एरिड5ए साइटोकिंस से संचालित होते हैं जो इम्यून सिस्टम में वसा कोशिकाओं को अपनी जांच के दायरे में रखते हैं। चूहों पर किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि एक वसा कोशिका के उत्पन्न होने के बाद जब दूसरी कोशिका उत्पन्न होती है तो एक निश्चित समय बाद वह अन्य कोशिकाओं को उत्पन्न नहीं होने देती। लेकिन यदि एरिड5ए को उत्पन्न होने से रोक दिया जाए तो मोटापा बढ़ने लगाता है।
बना रहता है ऊर्जा का संतुलन
साइटोकिंस इम्यूनिटी सेल से निकलने वाले प्रोटीन होते हैं। यह सभी जानते हैं कि व्यायाम करने और तनाव के दौरान आइएल-6 और टीजीएफ जैसे साइटोकिंस का सबसे ज्यादा स्नाव होता है। इससे ऊर्जा का संतुलन बना रहता है। इसे होमोस्टैसिस कहा जाता है। लेकिन इसकी वास्तविक कार्यप्रणाली से सभी अंजान हैं।
ऐसे किया अध्ययन
इन अध्ययन में शोधकर्ताओं ने होमोस्टैसिस की प्रणाली को ही समझने का प्रयास किया है। साइटोकिंस एरिड5ए को प्रभावित करता है, जिसके कारण वसा कोशिकाओं का निर्माण अवरुद्ध होता है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने चूहों के दो समूहों को पाला। पहले समूह में सामान्य जंगली चूहों को रखा गया, जिन्हें डब्ल्यूटी का लेबल दिया गया और दूसरे समूह के चूहों को एरिड5ए नॉकआउट में बांटा गया।
एरिड5ए को हटाकर देखा बदलाव
चूहों के इम्यून सिस्टम से एरिड5ए को हटा दिया था। इसके बाद दोनों समूहों को पहले सामान्य आहार दिया गया और बाद में उनकी खुराक बढ़ाई गई। उनके शरीर के निगरानी के दौरान इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि पहले आठ हफ्तों में उनके शरीर के आकार में बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं देखा गया। लेकिन 12-15 सप्ताह के बाद नॉकआउट समूह के चूहों के वजन में तेजी से वृद्धि होनी शुरू हुई। दो साल में नॉकआउट चूहे पूरी तरह मोटे हो गए थे और सामान्य जंगली चूहों की तुलना में उनका वजन दोगुना हो चुका था।