लोन लेने के लिए क्रेडिट या सिबिल स्कोर बेहद जरूरी है। कंपनियां लोन देते वक्त आपसे इसके बारे में पूछती हैं. अगर आपका यह स्कोर अच्छा होता है तो आपको आसानी से लोन मिल जाता है। इसलिए क्रेडिट स्कोर को ठीक रखना जरूरी है। क्रेडिट स्कोर में कई वजह से फर्क पड़ता है, मसलन बिल की लेट पेमेंट, ज्यादा क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन, क्रेडिट लिमिट बढ़ाना। क्रेडिट स्कोर को अच्छा करने के लिए 30/25/20 का फॉर्मूला जरूरी है। जानिए कैसे यह आपके क्रेडिट स्कोर पर असर डालता है।
अगर लेट बिल पेमेंट होता है तो: क्रेडिट स्कोर तय करने में लेट बिल पेमेंट का बहुत असर होता है। क्रेडिट कार्ड बिल या कर्ज का भुगतान देर से करने पर क्रेडिट स्कोर में 30 फीसद असर पड़ता है। तो आप समझ गए होंगे कि क्रेडिट स्कोर को सही रखने के लिए समय पर बिल और लोन की किस्त चुकाना कितना जरूरी है।
लिमिट बढ़ाने का योगदान: क्रेडिट स्कोर का असर क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने पर पड़ता है। अगर आप क्रेडिट कार्ड के लिए लिमिट बढ़वाते हैं तो इसका क्रेडिट स्कोर तय होने में 25 फीसद योगदान रहता है। शुरुआत में कंपनियां कम क्रेडिट लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड जारी करती हैं। बाद में आपका सिबिल स्कोर अच्छा हो तो आपकी लिमिट बढ़ जाती है।
एक से ज्यादा लोन और क्रेडिट कार्ड: अगर आप ज्यादा क्रेडिट कार्ड यूज करते हैं तो आपके क्रेडिट रिपोर्ट पर इसका गलत असर पड़ सकता है। बता दें कि आपके द्वारा क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने पर यह क्रेडिट रिपोर्ट के इंक्वायरी सेक्शन में दिखता है। इसलिए अगर आपने कई सारे क्रेडिट कार्ड एप्लिकेशन और लोन आपके क्रेडिट स्कोर को प्रभावित कर सकते हैं। अगर आपने क्रेडिट कार्ड और लोन के लिए कई आवेदन किए हैं तो इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर 25 फीसद असर पड़ सकता है।
क्या है सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर
सिबिल स्कोर तीन अंको से तय होता है। इससे यह पता चलता है कि आपने जो लोन लिया है उसका भुगतान समय से हुआ है या नहीं, इसके अलावा आपने पूरे ब्याज का भुगतान किया है या नहीं। आपने सभी रकम एक बार में ही भर दिया है या मिनिमम अमाउंट चुकाया है। इन सबकी जानकारी सिबिल स्कोर में होती है।