कोरोना संक्रमण से बड़ी लड़ाई लड़ रहे देश में आखिरकार वह दिन भी आ गया जब सरकार ने दो कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दे दी। जल्द ही रूसी वैक्सीन स्पुतनिक-5 को भी हरी झंडी मिल सकती है।
कोविशील्ड : ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को भारत से पहले ब्रिटेन, अर्जेंटीना व अल सल्वाडोर में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। भारत में वैक्सीन का निर्माण पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया कोविशील्ड के नाम कर रही है। कंपनी कह चुकी है वह अब तक कोविशील्ड वैक्सीन की पांच करोड़ खुराक का उत्पादन कर चुकी है। फिलहाल वह हर महीने 5-6 करोड़ खुराक का उत्पादन कर सकती है।
कैसे बनी : इस वैक्सीन का विकास कॉमन कोल्ड एडेनेवायरस से किया गया है। चिम्पांज़ी को संक्रमित करने वाले इस वायरस में बदलाव किए गए हैं, ताकि मनुष्यों को संक्रमित न कर सके।
परीक्षण : वैक्सीन का 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 23,745 लोगों पर परीक्षण किया गया। परीक्षण के दूसरे चरण में एक हजार लोगों को शामिल किया गया था, जिसके आंकड़े दूसरे देशों में हुए परीक्षण के आंकड़ों से मेल खाते हैं।
प्रभाव : डीसीजीआइ वीजी सोमानी का कहना है कि कोविशील्ड कुल मिलाकर 70.42 फीसद प्रभावी पाई गई है। यह मॉडर्ना और फाइजर से कम प्रभावी आंकी गई है, लेकिन कई नियामक किसी वैक्सीन के लिए सिर्फ 50 फीसद प्रभावी होना अनिवार्य मानते हैं। हालांकि, ऑक्सफोर्ड की तरफ से गत वर्ष नवंबर में जारी बयान में वैक्सीन की दो खुराकों को 90 फीसद प्रभावी बताया गया था।
कब तक करेगी काम : चार से छह सप्ताह के अंतराल में कोविशील्ड की दो खुराक दी जाएगी। इम्यून एक साल तक काम करेगी। इसे 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है।
कीमत : सीरम सरकार को 400 रुपये में वैक्सीन उपलब्ध कराएगी, जबकि बाजार में 700-800 रुपये में मिलेगी।
कोवैक्सीन : इसका विकास भारतीय चिकित्सा परिषद (आइसीएमआर) और हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से किया है।
कैसे बनी : इसके निर्माण में मृत कोरोना वायरस का इस्तेमाल किया गया है, ताकि वह लोगों को नुकसान न पहुंचाए। यह वैक्सीन शरीर में प्रवेश करने के बाद कोरोना संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी पैदा करती है।
प्रभाव : सोमानी कहते हैं कि कोवैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी है। हालांकि, इसके तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है और इसी वजह से प्रभाव संबंधी कोई आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। इसके पहले और दूसरे चरण के परीक्षण में 800 लोग शामिल रहे, जिन्हें किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं हुई। तीसरे चरण के परीक्षण में देशभर में 22.5 हजार से ज्यादा लोग शामिल हैं।
खुराक व प्रभाव : दो हफ्ते के अंतराल में कोवैक्सीन की दो खुराक दी जाएगी। इसे 2-8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है।
कीमत : हालांकि, वैक्सीन की आधिकारिक कीमत अभी नहीं बताई गई है, लेकिन माना जा रहा है कि इसकी कीमत 350 रुपये हो सकती है।
पूरी तरह सुरक्षित हैं वैक्सीन : वैक्सीन लगने के बाद हल्का बुखार आना, सिर दर्द और एलर्जी जैसी समस्याएं सामान्य हैं।