मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व दिल्ली सरकार के मंत्री भले ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार का दम भर रहे हों, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। सुधार किस तरह का हुआ है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जो बीमार हैं उन्हें इलाज नहीं मिल पा रहा है और जो ठीक हैं उन्हें जबरन बीमार बनाया जा रहा है। ऐसा ही एक उदाहरण कर्मपुरा में रहने वाली बुजुर्ग महिला दर्शना बाला का है। उनके पैर पर डेढ़ माह के लिए जबरन प्लास्टर चढ़ाकर उन्हें बिस्तर पर डाल दिया है।
बकौल दर्शना बाला मेरे पैर में हल्की सी चोट लगी तो 14 अगस्त को मैं मोतीनगर स्थित आचार्य भिक्षु अस्पताल गई। वहां एक्सरे हुआ तो डाक्टर ने 15 दिन के लिए कच्चा प्लास्टर चढ़ाने के लिए कहा। उनके अनुसार मैंने प्लास्टर भी चढ़वा लिया, दवाइयां भी समय से ली। इस दौरान मुझे पूरी तरह से आराम हो गया तो 5 सितंबर को मैं उस प्लास्टर को हटवाने के लिए अस्पताल गई तो वहां क्षेत्र के विधायक शिव चरण गोयल भी मिले। वे इस अस्पताल में बैठते भी हैं। वे मुझे पहचानते थे तो उन्होंने डॉक्टर को बुलाकर मेरी सिफारिश कर दी। बस उसी सिफारिश से डाक्टर चिढ़ गए और फिर मेरे मना करने के बावजूद डाक्टर ने डेढ़ माह के लिए पक्का प्लास्टर चढ़ा दिया।
दर्शना का कहना है कि मैं अस्पताल से तो वापस आ गई, लेकिन कुछ परिचितों की सलाह पर मैंने छह सितंबर को पूसा रोड स्थित एक निजी डाक्टर से जांच करवाई, एक्स-रे भी हुआ तो उन्होंने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि पैर पूरी तरह से सही है।
Live Halchal Latest News, Updated News, Hindi News Portal