कृषि बिल किसानों के प्रति मोदी सरकार की असंवेदनशील को दर्शाता है: सुखबीर सिंह बादल

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सबसे पुरानी सहयोगियों में से एक रही शिरोमणि अकाली दल का कृषि बिल के खिलाफ हल्ला बोल जारी है. पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने एक लेख के जरिए केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कृषि बिल किसानों के प्रति सरकार की असंवेदनशील को दर्शाता है. केंद्र सरकार के नए कानून के निहितार्थ बहुत गहरे और व्यापक हैं.

मोदी सरकार से अलग हो चुकी शिरोमणि अकाली दल के सांसद ने कहा कि भारतीय खाद्य एजेंसियों जैसे कि भारतीय खाद्य निगम की पूरी व्यवस्था दांव पर है.

सरकार ने यह घोषणा करके किसानों की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है कि MSP से बिल का कोई लेना-देना नहीं है. सरकार ने पहले मौखिक और बाद में लिखित रूप से इसका आश्वासन दिया. लेकिन इन आश्वासन को बिल में शामिल करने से इनकार कर दिया.

सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि यह कानून किसानों की फसलों को बाजार में फेंकने के लिए है. बड़ी कंपनियों की नजर किसानों के फसलों पर होगी. उन्होंने कहा कि बिल में दो बातें हैं. पहला राज्य खरीद एजेंसियों के लिए, जहां ग्रामीण विकास निधि, बाजार शुल्क आदि जैसे करों को वास्तविक मूल्य में कटौती की जाती है, जो किसान को मिलता है. इसका प्रतिफल यह है कि किसान को MSP पर अपनी फसलों की बिक्री के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है.

उन्होंने कहा कि निजी खरीदार को सरकार को कोई टैक्स नहीं देना होगा. नतीजतन, वह किसान को प्रति क्विंटल अधिक कीमत का लालच दे सकता है. और उनकी मार्केटिंग रणनीति के एक हिस्से के रूप में, बड़े कॉर्पोरेट शुरू में आधिकारिक एमएसपी की तुलना में काफी अधिक कीमत की पेशकश करेंगे

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