कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा है कि उन्हें दुख है कि किसान सिर्फ कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग करते हैं जबकि इसके फायदों पर चर्चा भी नहीं करते हैं. मीडिया के साथ विशेष बातचीत में नरेंद्र तोमर ने कहा कि कोई अदृश्य ताकत है जो चाहती है कि ये मसला हल नहीं हो.
जब कृषि मंत्री से उन ताकतों का नाम पूछा गया तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा. नरेंद्र तोमर ने कहा कि बातचीत के अगले ही दिन किसानों का सुर बदल जाता है.
बातचीत में केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि ये कानून पहले ही बन जाना चाहिए था. हर अच्छे काम में बाधा आती है. फिलहाल कृषि कानून पर रोक है. हमें सभी के हित में काम करना है.
किसान संगठनों को एमएसपी पर कमेटी का प्रस्ताव दिया गया है. दुख है कि वो कानून वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं. परेड को लेकर कृषि मंत्री ने कहा कि साल में 365 दिन पड़े हैं, किसी भी दिन ताकत दिखा लेते. सरकार संवेदनशील है और किसानों का हित चाहती है.